लखीमपुर खीरी: 2019 लोकसभा चुनाव को देखते हुए खीरी और धौरहरा सीट पर सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशियों ने ताल ठोकी है. जिले में बसपा हमेशा किंगमेकर रही पर किंग नहीं बन पाई. 16 लोकसभा चुनावों में आज तक बसपा का कोई भी उम्मीदवार खीरी की दोनों सीटों पर नहीं जीत सका.
2019 लोकसभा चुनाव: सपा-बसपा गठबंधन ने ठोकी ताल.
सन् 2000 के बाद से खीरी जिले में बसपा की ताकत लगातार बढ़ी हैं पर कभी बसपा प्रत्याशी खीरी और धौरहरा से जीत नहीं पाया. 2004 लोकसभा चुनाव में बसपा के प्रत्याशी दाऊद अहमद और समाजवादी पार्टी के रवि प्रकाश वर्मा की सीधी टक्कर हुई. इसमें समाजवादी पार्टी के रवि वर्मा जीत गए और दाऊद दूसरे नम्बर पर रहे.
इसी तरह 2009 के चुनाव में भी खीरी सीट पर बसपा की टक्कर कांग्रेस से हुई, जहां कांग्रेस प्रत्याशी जफर अली नकवी किसान कर्ज माफी की आंधी में बसपा के हाथी को उड़ा ले गए. कांग्रेस के जफर अली नकवी को 184982 वोट मिले तो बसपा के इलियास आजमी को 176205 वोट और कांग्रेस विजयी हुई. बसपा फिर दूसरे नम्बर पर सिमट कर रह गई.
यही हाल पहली बार संसदीय सीट बनी धौरहरा का रहा. धौरहरा से कांग्रेस सीट से चुनाव लड़ रहे जितिन प्रसाद बसपा के हाथी को पछाड़कर जीत गए. इसके बाद 2014 में मोदी लहर में एक बार फिर से बसपा के हाथी ने खीरी में हुंकार भरी और मोदी की आंधी में बसपा के हाथी को एक बार फिर जंगल का रास्ता देखना पड़ा.
खीरी संसदीय सीट से उतरे भाजपा प्रत्याशी अजय मिश्रा टैनी को 3,98,578 वोट मिले तो समाजवादी और कांग्रेस छोड़कर बसपा के हाथी की सवारी से संसद पहुंचने का ख्वाब संजोए अरविन्द गिरी को 2,88,304 वोट मिले. यही हाल धौरहरा सीट का रहा मोदी लहर में यहां भी रेखा वर्मा 3,60,357 वोट पाकर जीत गई, जबकि बसपा प्रत्याशी दाऊद अहमद को 2,34,682 वोटों से संतोष करना पड़ा.
इस बार हालांकि खीरी से गठबंधन प्रत्याशी के रूप में समाजवादी पार्टी से युवा चेहरा डॉ. पूर्वी वर्मा के रूप में उतरा है. वहीं धौरहरा सीट से गठबंधन प्रत्याशी अरशद सिद्दीकी मैदान में उतरे हैं. अब जनता को तय करना है कि 2019 में सपा-बसपा की ताकत मिलकर क्या करती है.