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लखीमपुर: यहां पड़े थे गुरुनानक देव जी के चरण, बना भव्य गुरुद्वारा - lakhimpur khiri

लखीमपुर खीरी के बरसोला गांव में सिखों के धर्मगुरु गुरुनानक देव जी की 550वीं जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाई गई. यहां बने विशाल गुरुद्वारे में हजारों लोग रोजाना यहां मत्था टेकने आते हैं.

यहां पड़े थे गुरुनानक देव जी के चरण, बना है भव्य गुरुद्वारा

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Published : Nov 13, 2019, 3:35 AM IST

लखीमपुर: जिले के बरसोला गांव में सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव जी के चरण पड़े हैं. कहा जाता है कि नेपाल जाते समय गुरुनानक देव जी इस स्थान पर रुके थे. यहीं पर गुरु नानक देव जी ने एक रोगी का उद्धार किया था. इसीलिए इस स्थान का नाम कौड़ियाला घाट पड़ गया. मान्यता है कि गुरुद्वारे के पवित्र सरोवर में स्नान करने से चर्म रोग ठीक हो जाता है. आज भी हजारों सिख धर्मावलम्बी यहां माथा टेकने आते हैं.

यहां पड़े थे गुरुनानक देव जी के चरण, बना है भव्य गुरुद्वारा
धूमधाम से मनाई गई गुरुनानक देव जी की 550वीं जयन्तीगुरुनानक जी के 550वीं जयन्ती तराई के इस इलाके में धूमधाम से मनाई गई. जयन्ती को भव्य बनाने के लिए हेलीकॉप्टर से गुरुद्वारे और सिख संगत पर फूल बरसाए गए. रागी जत्थों ने शबद कीर्तन से संगत को निहाल किया. वहीं गतका दल ने हैरतअंगेज दिखाकर सिख कौम की बहादुरी का परिचय दिया.लोगों को पढ़ाया मानवता का पाठ1469 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के तलवंडी गांव में जन्मे गुरुनानक देव जी धर्मसुधारक के रूप में जाने गए. रूढ़ियों का विरोध करते कुसंस्कारों को हटाते मूर्तिपूजा का विरोध करते गुरुनानक देव जी ने भारत ही नहीं चीन, नेपाल, तिब्बत, रूस, भूटान, श्रीलंका समेत करीब 10 देशों की यात्रा की. नेपाल जाते वक्त गुरुनानक देव जी तराई के खीरी जिले के बरसोला गांव में भी आए थे. कहते हैं कि गुरुनानक देव जी ने गांव वालों को मानवता का पाठ पढ़ाया. आडम्बरों से दूर रहने को कहा. जाति पाति और कर्मकांडों को भी हटाकर मानव सेवा को ही सबसे बड़ी सेवा बताया. कालांतर में सिख धर्मावलम्बियों ने गुरुनानक देव जी का भव्य गुरुद्वारा बनवाया.

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