कुशीनगर: जिले के विकासखंड रामकोला की ग्राम पंचायत सपहा 22 छोटे बड़े टोलों को मिलाकर बनी है. इस ग्राम पंचायत में लगभग आठ हजार की आबादी रहती है . मतदाताओं की बात करें तो इस ग्राम पंचायत में 4200 मतदाता रहते हैं . इस ग्राम पंचायत की जिला मुख्यालय से दूरी लगभग 20 किलोमीटर और विकासखंड रामकोला से इस ग्राम पंचायत की सीमा महज एक किलोमीटर की दूरी से शुरू हो जाती है, लेकिन बात विकास की करें तो ये गांव जरूरतमंदों और आम लोगों को मूलभूत सुविधाओं को देने में कोसों दूर है. ईटीवी भारत की टीम ने कुशीनगर जिले के सपहा ग्राम पंचायत के कई गावों का दौरा किया और लोगों की प्रतिक्रिया जानी.
सुनिए क्या कहते हैं यहां के मतदाता
गांव के भवन तिवारी बताते हैं कि स्कूल में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है, जो भी काम कराये गए हैं वह नंबर दो के हैं, जिससे उनकी क्वालिटी बेहद घटिया किस्म की है. स्कूल के बच्चों का पुराना शौचालय बिलकुल खराब हो गया है और नया अधूरा बनाकर छोड़ दिया गया है, जिससे बच्चों को बहुत असुविधा होती है. जब इसकी शिकायत ग्राम विकास अधिकारी को दी जाती है तो वह प्रधान से कहने की बात करते हैं.
सुमित्रा देवी ने बताया कि जो रास्ता काली मंदिर का है, उस पर लोगों का कब्जा हो गया और अब मजबूर होकर पूरा गांव हमारे खेत के रास्ते आता है, लेकिन जब बरसात हो जाती है तो यहां रास्ते के अभाव में कोई नहीं आ पाता. .
सरस्वती ने बताया की बीते 5 सालों में कोई इनकी सुध नहीं लिया कि वे भूखी हैं या खाना खाया. लेकिन अब सभी आ रहे हैं. सरकारी सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं दिया गया . जॉबकार्ड तो बना पर कोई काम नहीं मिला.
गांव के शाहिद मियां कहते हैं कि गांव में बिजली है, लेकिन सड़क खस्ताहाल है. उनको भी आवास और शौचालय नहीं मिला.
देवमती मिश्रा ने बताया कि उन्होंने शौचालय की मांग प्रधान से की तो उन्होंने कहा कि आप खुद बनवा लें और जिसके बाद सरकार द्वारा दी जाने वाली सहयोग राशि उन्हें दे दी जाएगी. उन्होंने शौचालय तो बनवा तो लिया, उनका फ़ोटो भी ले लिया गया पर आजतक उन्हें कुछ नहीं मिला . उनका शक है कि उनके नाम का पैसा जिम्मेदारों ने रख लिया.गु
गुड़िया का आरोप है कि उनका आवास सूची में नाम होने के बाद भी उनके ग्राम प्रधान रामजीत ने उनसे आवास दिलाने के नाम पर 9 हजार रुपये लिए, लेकिन आवास नहीं दिया और न ही उनके पैसे लौटाए. प्रधानी खत्म हो गई, लेकिन पूछने पर अभी भी दिलाने का दावा करते हैं.
स्थानीय भोली ने बताया कि उनको जो शौचालय मिला, उसका निर्माण बिल्कुल घटिया था, जिससे वह टूट गया. बरसात में उन्हें बहुत दिक्कत उठानी पड़ती है. पेंशन योजना भी बंद हो जाने से ईलाज के लिए भी दिक्कत होती है.
बैतुन निशा कहती हैं कि उनके पास सरकार की कोई सुविधा नहीं पहुंची, जिसके कारण प्रधान कहते हैं कि सूची में नाम नहीं है. बैतुन के पति मजदूरी करके 8 लोगों का जीवन चलाते हैं सरकार से राशन भी नहीं मिलता. शौचालय नहीं होने से बच्चे बाहर जाते हैं, जिसके कारण लोग रोज शिकायत करते हैं .
स्थानीय निवासी शंकर ने बताया की 5 सालो में ये भी जानने कोई नहीं आया कि गांव के लोग कैसे हैं. कौन भूखा है, किसको क्या दिक्कत है. अब चुनाव आते ही लोग आकर फिर काम करने के दावे करने लगे. अधिकतर इंडियन मार्का नल खराब हैं, जिससे स्वच्छ पेयजल नहीं मिलता. नालियां न होने से ग्रामीणों को दिक्कत होती है. ना आवास है, न मनरेगा में काम. जैसे हमलोग थे वैसे ही हैं. प्रधान के प्रभाव से कोई अधिकारी भी सुध लेने कभी नहीं आये.