कुशीनगर: जनपद मुख्यालय पडरौना के निकट जंगल विशुनपुरा गांव में अनुसूचित और गरीब लोगों को वर्षों पूर्व पट्टे की जमीन मिली थी. बीते लॉकडाउन की अवधि के दौरान इस जमीन पर न्यायालय के स्थगन आदेश की अनदेखी करने का आरोप प्रशासनिक अमले पर लगा है. बिना संक्रमणीय हुए ही उक्त जमीन का बैनामा और फिर राजस्व विभाग के सांठगांठ से उस पर काबिज गरीब लोगों को हटाकर एक व्यक्ति को कब्जा देने की बात भी सामने आई है.
ईटीवी भारत की पड़ताल के क्रम में एसडीएम ने उक्त जमीन पर उच्च न्यायालय का स्थगन आदेश होने की बात कही. उन्होंने बताया कि मामले की जांच तहसीलदार पडरौना को दी गई है.
क्या है मामला
जानकारी के मुताबिक पडरौना नगर निवासी एक व्यक्ति की कृषि योग्य जमीन सीलिंग में निकली थी. सम्बन्धित पक्ष द्वारा स्थानीय चकबन्दी न्यायालय से लेकर हाईकोर्ट तक अपील कर स्थगन आदेश ले लिया गया है. उसके बावजूद राजस्व विभाग द्वारा गरीब लोगों को पट्टे के रूप में उक्त जमीन का आवंटन कर दिया गया था. आरोप है कि हाल में उक्त भूखण्ड के एक बड़े हिस्से का विक्रय दिखाकर बिना दाखिल खारिज के ही गाटा 510 के चार एकड़ पर राजस्व विभाग द्वारा एक व्यक्ति को जबरदस्ती कब्जा दे दिया गया है.
पड़ताल में सामने आई बात
मामले में तत्कालीन लेखपाल द्वारा उक्त जमीन का दाखिल खारिज कराने के लिए नियम विरुद्ध संक्रमणीय भूमि होने की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजा गया है. ईटीवी भारत को प्राप्त रिपोर्ट की छाया प्रति में साफ लिखा है कि उक्त जमीन पर किसी न्यायालय में कोई मामला विचाराधीन नहीं है जबकि पीड़ित पक्ष द्वारा साक्ष्य के साथ जिलाधिकारी को दिए गए पत्र में मामला न्यायालय में लम्बित होने की बात कही गई है.