कुशीनगर : मुस्लिम समुदाय के लिए शब-ए-बारात एक प्रमुख त्योहार है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार शब-ए-बारात का त्योहार शाबान महीने की 14वीं तारीख और 15वीं तारीख के मध्य रात को मनाया जाता है. शब-ए-बारात का त्योहार 18 मार्च से लेकर 19 मार्च को मनाया जाएगा. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार शब-ए-बारात में इबादत करने वाले लोगों के सारे गुनाह माफ हो जाते हैं. इसलिए लोग शब-ए-बारात में अल्लाह की इबादत करते हैं. उनसे अपने गुनाहों को माफ करने की दुआ मांगते हैं.
क्यों खास है शब-ए-बारात
हिजरी कैलेंडर के अनुसार शब-ए-बारात की रात हर साल में एक बार शाबान महीने की 14 तारीख को सूर्यास्त के बाद शुरू होती है. शब-ए-बारात का अर्थ है- शब यानी रात और बारात यानी बरी होना. शब-ए-बारात का रात को इस दुनिया को छोड़कर जाने वाले अपने पूर्वजों की कब्रों में रोशनी और उनके लिए दुआ मागी जाती है. इस्लामिक मान्यता के अनुसार इस रात को अल्लाह अपने चाहने वालों का हिसाब-किताब रखने के लिए आते हैं. इस दिन जो भी सच्चे मन से अल्लाह से अपने गुनाहों के लिए माफी मांगते हैं, अल्लाह उनके लिए जन्नत के दरवाजे खोल देता है.
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