कुशीनगर: कर्बला के मैदान में अपने 72 साथियों के साथ शहीद हुए हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाए जाने वाला मोहर्रम का त्योहार भी कोरोना महामारी के पाबंदियों के बीच परंपरागत एंव शांतिपूर्ण ढंग से मनाया गया. पिछले वर्ष की तरह इस बार भी पड़रौना शहर से लेकर पिछड़े इलाकों तक कहीं भी ताजियों के जुलूस नहीं निकाले गए. अलबत्ता ताजियों में रखे गए सेहरा, फूल एंव अन्य चीजों को इस त्योहार के रस्म-ओ-रिवाज के अनुसार ताजियादारों ने अपने-अपने कर्बला में दफन कर दिया. ताजिया के जुलूस के आयोजित न होने से इस त्योहार के मौके पर जुटने वाले मेले नहीं लगे. इन मेलों में मौज उड़ाने वाले बच्चे उदास रहे. मोहर्रम से संबंधित रस्मों में जिले भर में 3 थानाक्षेत्र के कुछ जगह पर हलचल की सूचनाएं आई. जिसपर पुलिस ने जांच कर कार्रवाई की बात कही.
मुस्लिम समुदाय के लोगों ने शांतिपूर्ण रूप से मोहर्रम का त्योहार घरों में ही मनाया. लोगों ने घर में ही नमाज पढ़ी. हालांकि कोरोना को देखते हुए सरकार की तरफ से दी गई गाइडलाइन और लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मोहर्रम कमेटियों ने न तो जुलूस निकाला और न ही कर्बला पर करतब दिखाए. लोगों ने घरों से ही फातिया पढ़ा और सत्य के लिए कुर्बान हुए हजरत इमाम हुसैन के बताए रास्ते पर चलने की शपथ ली. घरों में छोटी ताजिया का निर्माण किया और ताजिया दफन करने की परंपरा को शांतिपूर्ण तरीके से पूरा किया गया.