कुशीनगर: पडरौना शहर के परसौनी कला में 20 वर्षों से संचालित शिरीन बसुमता नारी संस्थान (अनाथ आश्रम) की मुश्किलें बढ़ गई हैं. उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य सुचिता चतुर्वेदी ने संस्थान का औचक निरीक्षण किया. निरीक्षण में संस्थान के पंजीकरण में कमियां व धर्म परिवर्तन जैसे गंभीर आरोपों भी सामने आए.
बृहस्पतिवार को जिले में आयी उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य सुचिता चतुर्वेदी ने बिना पंजीकरण के चलाए जा रहे नारी संस्थान आश्रम (अनाथ आश्रम) का निरीक्षण किया. निरीक्षण में धर्मपरिवर्तन की खबरों की खबरों के सुगबुगाहट पर शुक्रवार को देर शाम मीडिया संस्थान में पहुंची तो बड़ा खुलासा हुआ. आश्रम में जगह कम है फिर भी 25 बच्चे रखे गए हैं. साथ ही बच्चों को उनके धर्म के अनुसार नाम ना रख कर उन्हें दूसरे उपनाम से पुकारा जाता है, जिससे वह अपनी पहचान भूल रहे हैं. यह आश्रम में कहीं ना कहीं धर्मांतरण जैसे कार्य की ओर इशारा कर रहा है.
अनास आश्रम का निरीक्षण करतींउत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य सुचिता चतुर्वेदी
निरीक्षण के बाद आयोग की सदस्य ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि शिरीन बस माता नारी संस्थान पडरौना के अनाथ आश्रम में किशोरियों-बालकों की देखरेख व संरक्षण अधिनियम 2015 और अधिनियम के आदर्श नियम 2016 के प्रावधानों के मानकों को पूरा नहीं कर रही है. इस अनाथ आश्रम में लगभग 25 बच्चे हैं जो 5 वर्ष से लेकर 18 वर्ष की आयु तक के हैं. उन्हें बाल कल्याण समिति के संरक्षण में प्रस्तुत नहीं किया गया है, जो अधिनियम की धारा 32 का उल्लंघन है. उन्होंने जिलाधिकारी को एक रिपोर्ट भी भेजी है, जिसमें संस्थान के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही गई है.
अपनी रिपोर्ट में आयोग की सदस्य ने कहा कि संस्थान में बच्चों के नाम के आगे बसुमता जोड़ा गया है, यह संस्थान शिरीन का उपनाम है. साथ ही विभिन्न आयु वर्ग के लड़के-लड़कियों को एक साथ रखा जा रहा है, जो आदर्श नियम 2016 के नियम 29(6) बी का उल्लंघन है. बच्चों से जुड़ा सिर्फ एक रजिस्टर है. संस्थान ने किसी भी पत्रावली को प्रस्तुत नहीं किया. वहीं रजिस्टर के प्रत्येक पेज पर बच्चों का संक्षिप्त परिचय लिखा है. उसमें बच्चों की संपूर्ण जानकारी नहीं है, जो नियम विरुद्ध है.
पढ़ें-UP अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष का बयान, ओवैसी के आने-जाने से नहीं पड़ता असर
रिपोर्ट में कहा गया है कि संस्थान की संस्थापक यहां अपने परिवार के साथ रहती हैं और यहां कोई स्टाफ नहीं है. उनके दो लड़कों की शादी हो चुकी है जो अपनी पत्नी और बच्चों के साथ उसी में रहते हैं. इसके अलावा आयोग की सदस्य सुचता चतुर्वेदी ने अन्य कई बिंदुओं पर भी आपत्ति जताई. हालांकि संस्थान के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई है. लेकिन डीएम को लिखे पत्र में कहा गया है कि बच्चों को उनके आयु के अनुसार उचित संस्थाओं में बाल कल्याण समिति के माध्यम से स्थानांतरित कराएं साथ ही 1 सप्ताह में कार्रवाई से भी अवगत कराएं.
इस पूरे मामले पर शुक्रवार को शाम जिला अधिकारी एस. राज निगम ने बताया कि आयोग के सदस्य का पत्र प्राप्त हुआ है. उसके निरीक्षण के दौरान आश्रम में मिली कमियों की शिकायतों की जांच की जा रही है. एसडीएम सदर द्वारा जांच प्रक्रिया पूरी कर अगर आरोपों में सत्यता मिलती है तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.