कुशीनगर: देश की आजादी के 75वें साल में कुशीनगर एयरपोर्ट अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाने जा रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट लोगों को समर्पित करने आज कुशीनगर एयरपोर्ट पहुंचेंगे. जहां आयोजित एयरपोर्ट के लोकार्पण कार्यक्रम में हिस्सा लिया. कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर पहली उड़ान श्रीलंका के 125 सदस्यों के डेलिगेशन का हुआ. जिसका स्वागत नरेंद्र मोदी ने खुद किया. उनके साथ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ लगभग 1 दर्जन देशों के राजदूतों की भी मौजूदगी रही.
वहीं, कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन को लेकर सभी विपक्षी दल भी सरकार को घेरने के साथ एयरपोर्ट में अपने योगदान को गिनाने में जुटे हैं. बता दें, एयरपोर्ट से नियमित उड़ान शुरू होगी. रोजगार के क्षेत्र में पिछड़े कुशीनगर जिले के लोगों को पर्यटन से कारोबार की बड़ी उम्मीद है.
कुशीनगर हवाईअड्डे की आधारशीला ब्रिटिश हुकूमत में ही रखी गई थी. देवरिया-कुशीनगर का यह इलाका गन्ने की खेती के लिए जाना जाता था. तब यहां 13 चीनी मिलें स्थापित थीं. वर्ष 1946 में अंग्रेज अफसरों के आवागमन के लिए कसया के भलुही मदारीपट्टी गांव में एयरोड्रम का निर्माण हुआ था, लेकिन अंग्रेज इसका उपयोग नहीं कर पाए.
वर्ष 1954 में कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन का आयोजन हुआ. जिसमें चीन, ताइवान, तिब्बत, थाईलैंड समेत बौद्ध अनुयायी देशों के प्रतिनिधियों और राष्ट्राध्यक्षों ने भी प्रतिभाग किया. इस कार्यक्रम के लिए कसया की इस हवाई पट्टी का पहली बार प्रयोग किया गया, लेकिन फिर लोगों ने उसे भुला दिया. धीरे-धीरे अगल-बगल के गांव के लोगों ने हवाई पट्टी का उपयोग वाहन चलाना सीखने व फसलों की मड़ाई के लिए करना शुरू कर दिया.
जिम्मेदारों की उपेक्षा के बाद हवाई पट्टी के बीच से ही सड़क बन गई, लेकिन जब वर्ष 1995 में प्रदेश में जब बसपा की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री मायावती ने कुशीनगर की इस हवाई पट्टी के जीर्णोद्धार के लिए प्रयास शुरू किया. उस वक्त हवाई पट्टी के रनवे की मरम्मत के अलावा बाउंड्रीवाल, प्रतीक्षालय, एटीसी बिल्डिंग, गेस्ट हाऊस आदि का निर्माण कराया गया. केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री रहे गुलाम नबी आजाद ने इसका उद्घाटन भी किया. दुर्भाग्य की बात यह रही कि इस एयरपोर्ट से उड़ान शुरू नहीं हो सकी. यही कारण है कि बसपा एयरपोर्ट को अपने प्रयासों की देन बताती है. क्योंकि तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती 2008 के कुशीनगर अपने आध्यात्मिक गुरु एबी ज्ञानेश्वर से मिलने आई और जब लौटीं तो मायावती ने कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनवाने की घोषणा की. इसके लिए प्रस्ताव भी केंद्र सरकार को भेज दिया गया और मंजूरी भी मिल गई, लेकिन कार्य शुरू नहीं हो पाया.