कुशीनगर: जिले में होलिका दहन शुक्रवार को विधिवत रीति रिवाजों के साथ किया गया. यहां रंग गुलाल की होली से पहले लोग होलिका भस्म लगाने को शुभ मानते हैं. देर रात 10:16 बजे होलिका दहन किया गया.
हिंदू शास्त्रों में भद्राकाल में कोई भी शुभ काम किए जाने के कारण इस बार देर रात 12:57 बजे के बाद होलिका दहन किया गया. कुछ ज्योतिष विद्वानों ने होलिका दहन रात 09:06 बजे से लेकर 10:16 बजे के बीच भी किए जाने की बात कही थी क्योंकि इस समय भद्रा की पूंछ था. भद्रा की पूंछ में होलिका दहन किया जा सकता है. जिले के गाँवो व अधिकांश जगहों पर शाम से ही बच्चें होलिका दहन के लिए सुखी लकड़ी, कंडे, पत्ते इत्यादि का इंतजाम करने में जुट गए. भद्रकाल के खत्म होने के बाद सभी ने नाचते-गाते होलिका दहन किया. होलिका दहन के पूर्व ग्रामीणों ने गए फाग, बजाए ढोल, मंजीरे और दहन के साथ पूरी रात हुढ़दग किया.
जिले में ग्रामीणों ने होलिका में चावल, धूप, फूल, गाय के गोबर के कंडे अर्पित किए. सभी ने होलिका की परिक्रमा करते हुए आशीर्वाद लिया. फिर घर उपयोग किये उपटन के अवशेष होलिका में डाला गया. 5 से 7 बच्चो ने हाथों में पत्ते की मशाल लेकर 5 बार होली की परिक्रमा कर होलिका दहन किया.
होलिका के भस्म से मनेगी होली, ये है मान्यता
होलिका की भस्म के लिए एक मान्यता है इसे घर में लाने से नकारात्मक और अशुभ शक्तियों का प्रभाव खत्म होता है. इसलिए लोग इसे घर में लाकर रखते हैं. वहीं, कुछ लोग इसे ताबीज में भरकर धारण करते हैं जिससे नकारात्मक शक्तियों और तंत्र-मंत्र के प्रभाव से बच सकें. मान्यता है कि होली की भस्म शुभ होती है और इसमें देवताओं की कृपा होती है. भस्म को माथे पर लगाने से भाग्य अच्छा होता है और बुद्धि बढ़ती है. एक मान्यता यह भी है कि भस्म में शरीर के अंदर स्थित दूषित द्रव्य सोख लेने की क्षमता होती है. इस कारण भस्म लेपन करने से कई तरह के चर्म रोग नहीं होते हैं.
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