कुशीनगर: चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन से शुरू हुए नव संवत्सर के पहले दिन आज शनिवार को कुशीनगर स्थित देवी शक्तिपीठ पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. प्रसिद्ध शक्तिपीठ खन्हवार पिपरा में आसपास के साथ ही सीमावर्ती बिहार के भी श्रद्धालुओं का तांता सुबह से ही लगना शुरू हो गया था. मंदिर में स्थापित विशालकाय पिंड श्रद्धालुओं को अपनी ओर खासा आकर्षित करता है.
नवरात्रि के पहले दिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने किए देवी दर्शन जिला मुख्यालय से लगभग 15 किमी दूर कुबेरस्थान थाना क्षेत्र के खन्हवार पिपरा में मां दुर्गा के शक्तिपीठ पर चैत्र रामनवमी के पहले दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. शक्तिपीठ के रूप में विख्यात इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां किसी मूर्ति की पूजा नहीं होती बल्कि जमीन पर लेटी हुई अवस्था में अपने आप प्रकट हुए एक पिंड की पूजा होती है.
खन्हवार पिपरा देवी स्थान के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त इस मंदिर के मुख्य पुजारी गिरीश चंद्र पांडेय ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि मंदिर स्थापना से जुड़ी पौराणिक कहानी, राजा मदनपाल सिंह से जोड़कर देखी जाती है. कलकत्ता की काली मां, पटना में स्थापित पाटन देवी, बिहार में थावे वाली देवी मां और उसके बाद खन्हवार पिपरा की देवी माता का स्थान आता है. यहां के बाद इस प्रकार का स्थान कुशीनगर से सटे बिहार में बगहा के निकट मदनपुर जंगल में स्थित दुर्गा स्थान पर दिखता है.
जिले में खन्हवार पिपरा देवी शक्तिपीठ पर मां दुर्गा के लेटे हुए पिंड का महात्म्य सैकड़ों वर्ष पुराना बताया जाता है. आसपास के लोग बताते हैं कि पहले यहां घनघोर जंगल हुआ करता था. उस समय खुले आसमान के नीचे माता रानी का पिंड हुआ करता था. आसपास के श्रद्धालुओं ने सहयोग कर इस स्थान पर भव्य मंदिर का निर्माण करा दिया. अब यहां वर्ष में पड़ने वाले दोनों नवरात्रि में विशाल मेले का भी आयोजन होता है.