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कुशीनगर: IGRS पोर्टल पर फर्जी निस्तारण मामले में सीएम कार्यालय गंभीर - chief minister office

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में हिंदू युवा वाहिनी के नेता की ओर से आईजीआरएस पोर्टल पर दर्ज की गई शिकायत का फर्जी निस्तारण कर अधिकारियों की ओर से मामले को दबा दिया गया. वहीं मामला सीएम योगी के संज्ञान में आने के बाद तूल पकड़ता नजर आ रहा है. सीएम के निर्देश के बाद अब एक बार फिर मामले पर मुख्यमंत्री कार्यालय गंभीर दिख रहा है.

कुशीनगर समाचार
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Published : Nov 12, 2020, 10:24 PM IST

कुशीनगर: उत्तर प्रदेश सरकार के जनसुनवाई पोर्टल पर दर्ज समस्याओं का कुशीनगर के अधिकारियों द्वारा फर्जी निस्तारण का मामला सीएमओ की ओर से संज्ञान लिए जाने के बाद चर्चा में आ गया है. जिले के एक हियुवा नेता की शिकायत पर मुख्यमंत्री की ओर से मामले का स्वतः संज्ञान लेने के बाद मामले की एक बार फिर पड़ताल शुरू हो गई है. इसका असर जिलाधिकारी कार्यालय तक पड़ता दिख रहा है. मामले से जुड़े कागजात ईटीवी भारत को मिले हैं, फिलहाल मामले में स्थानीय स्तर पर कोई अधिकारी कुछ बोल नहीं रहा है.

बता दें कि हियुवा नेता और पूर्व जिला पंचायत सदस्य ओम प्रकाश वर्मा की ओर से 25 जून 2017 को कुशीनगर नगर पंचायत में सरकारी धन के बंदरबांट का आरोप लगाया गया था. उसने आईजीआरएस शिकायत संख्या 15189170067644 के माध्यम से सूचना दर्ज कराई थी. मामले को कुछ ही दिन बाद निस्तारित दिखाते हुए अधिकारियों ने इसका उल्टा सीधा जवाब पोर्टल पर दर्ज कर दिया.

मामले में दोबारा शिकायत की गई तो 26 बिंदुओं पर अपनी जांच आख्या के साथ तत्कालीन जिलाधिकारी रिक्जियान सैम्फिल ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी. आरोप है कि मामला एक बार फिर फाइलों के बीच दबा दिया गया. खास चर्चा इस बात पर हुई कि इसी शिकायत संख्या का हवाला देकर भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून को नगर विकास अनुभाग-1 के विशेष सचिव ने एक पत्र जारी कर कुछ साफ सफाई के बारे में बता डाला.

हिन्दू युवा नेता ने सीएम के सामने रखी बात

बीते सितम्बर महीने में शिकायतकर्ता हिंदू युवा नेता ने IGRS पोर्टल पर चल रहे निस्तारण के बारे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर उन्हें बताया. इसके बाद मुख्यमंत्री के कड़े निर्देश पर प्रमुख सचिव ने जिलाधिकारी कुशीनगर से जवाब तलब किया. तत्काल मामले के छानबीन के बाद वर्तमान जिलाधिकारी भूपेन्द्र एस. चौधरी ने पत्रांक संख्या 201/जि.पू.अ.-जनसुनवाई/2010 के माध्यम से 29 सितम्बर 2020 को अपनी रिपोर्ट भेजी. रिपोर्ट में साफ तौर पर लिखा गया है कि तत्कालीन जिलाधिकारी ने रिपोर्ट भेजी थी, लेकिन नगर विकास विभाग में उसे दबाने का कार्य किया गया था.

रोचक बात आई सामने
भ्रष्टाचार से जुड़े इस शिकायत के मामले में चल रहे कागजी बयानबाजी में बीच अपनी कार्यशैली को लेकर चर्चा में रहे जिलाधिकारी की रिपोर्ट भी चौंकाने वाली है. आरोप है कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट में मामले की लीपापोती करते हुए अपनी रिपोर्ट शासन को सितम्बर 2017 में भेज दी थी.

शिकायतकर्ता हियुवा नेता और शासन से नगर पालिका कुशीनगर के मनोनीत सभासद ओम प्रकाश वर्मा ने ईटीवी भारत को सारे साक्ष्य उपलब्ध कराते हुए बताया कि अधिकारी जनसमस्याओं को लेकर गंभीर नहीं हैं. उन्होंने बताया कि 2017 में तत्कालीन ईओ और नगर पालिका अध्यक्ष पर पूरे साक्ष्य के साथ सरकारी धन के बन्दरबांट का आरोप लगाया था, लेकिन अधिकारी अपनी फर्जी रिपोर्ट लगाते गए. अब मुख्यमंत्री की ओर से मामले का संज्ञान लिए जाने के बाद खलबली मची है.

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