कुशीनगरः बहादुर बिटिया पूजा तो हम लोगों के बीच नहीं रही, लेकिन उसकी चर्चा अब हर तरफ हो रही है. पूजा सेना में भर्ती की तैयारी कर रही थी, पर सिलेक्शन से पहले ही वो जिंदगी की जंग हार गई. लेकिन जाते-जाते वो बहादुरी का परिचय देते हुए पांच लोगों को जिंदगी दे गई. जिसमें उसकी मां लीलावती यादव और दो बच्चे भी शामिल हैं.
अंधेरे में हुए हादसे में डूबने वालों में पूजा के साथ उसकी मां भी थी. उसने सबसे पहले अपनी मां को बचाया. इसके बाद एक-एक कर 4 अन्य लोगों को भी बचाकर कुएं से बाहर भेजा. छठे की जान बचाने की वो जद्दोजहद कर ही रही थी कि उसकी सांसे थम गई और वो भी डूब गई.
इस तरह से एक बहादुर बिटिया की जिंदगी की डोर थम गई. आर्मी मैन पिता बलवंत यादव को अपनी बिटिया की शादी की चिंता थी. लेकिन न तो सिलेक्शन हुआ और न ही शादी हो सकी. अब उसका अंतिम संस्कार करने की तैयारी की जा रही है.
पंचतत्व में विलीन हुई बहादुर बिटिया बताया जा रहा है की छठे की जान बचाते समय उसका संतुलन बिगड़ गया और खुद पानी में समा गई. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक पूजा पर सभी को बचाने की धुन सवार थी. रोते-बिलखते लोग पूजा का हौसला याद कर उसका ही नाम ले रहे हैं. उन्होंने कहा, पूजा ने जब पांच लोगों को बचाया तो उनके मन में आस जगने लगी, लेकिन छठवें को बचाने के दौरान उसका खुद का संतुलन बिगड़ गया और वो हमसब को छोड़कर चली गई.
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पूजा बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा थी. उसके दो जुड़वा भाई आदित्य और उत्कर्ष हैं. पिता बलवंत यादव दिल्ली में पोस्टेड हैं. जबकि जुड़वा भाई कक्षा नौ में पढ़ाई कर रहे हैं. पूरा परिवार शिक्षित है. पूजा अपने पिता की ही तरह सेना और पुलिस में भर्ती होना चाहती थी.
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