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पंचायत चुनाव के बीते पांच साल, विकास की बाट जोहता कौशांबी का ये गांव

यूपी में पंचायत चुनाव की तैयारियां तेज हो चुकी हैं. इस बार रानीतिक पार्टियों के सीधे दखल के बाद अबकी बार का चुनाव दिलचस्प हो गया है. कौशांबी जिले में बिजली पानी और सड़क के अलावा रोजगार की समस्या सबसे प्रमुख हैं.

विकास की बाट जोहता कौशांबी का ये गांव
विकास की बाट जोहता कौशांबी का ये गांव

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Published : Jan 25, 2021, 9:23 AM IST

कौशांबी: उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की सरगर्मियां तेज हो चुकी है. पांच साल बीत जाने के बाद भी लोगों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है. कौशांबी जिले की अगर बात की जाए तो यह जिला प्रदेश के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार है. जिले में बिजली पानी और सड़क के अलावा रोजगार की समस्या सबसे प्रमुख है. इस दौरान जिला पंचायत द्वारा कई क्षेत्रों में विकास कार्य करवाए गए हैं, लेकिन बीते पांच साल बेहद उठापटक वाला रहा है. इन पांच सालों में तीन निर्वाचित अध्यक्षों के साथ ही तीन प्रशासकों ने जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में काम किया. विकास कार्यों के दृष्टि से देखें तो अध्यक्षा अवध रानी ने सबसे अधिक विकास कार्य का संचालन किया, लेकिन उसके बाद भी कई ऐसे गांव हैं, जिन्हें आज भी सड़क और पानी जैसी मूल सुविधाओं का इंतजार है. पेश है ईटीवी भारत की एक विशेष रिपोर्ट...

सुनिए कौशांबी जिले के मतदाताओं की राय
विकास कार्यों के नाम पर पैसों का बंदरबांट

ईटीवी भारत की टीम सबसे पहले मंझनपुर तहसील के रहीमपुर मौलानी पहुंची, जहां विकास कार्य के नाम पर केवल रुपयों का बंदरबांट किया गया है. ग्रामीणों की मानें तो इस गांव में ग्राम पंचायत और जिला पंचायत ने कोई भी विकास कार्य नही कराया है. इस गांव की गलियां आज भी गंदे नालों के पानी से भरी हुई हैं. इस गलियों से आने जाने में लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. गांव की ही ताराबानो के मुताबिक यहां कोई भी साफ सफाई की व्यवस्था नहीं कराई जा रही है, जिसके कारण गंदी नालियों का पानी सड़कों में भर जाता है. आने-जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

हिसामपुर परसखी के रहने वाले नीरज सिंह के मुताबिक जिला पंचायत का पांच सालों का कार्यकाल बेहद उठापटक वाला रहा है. इस दौरान यहां पास तीन निर्वाचित अध्यक्ष के साथ ही तीन बार प्रशासक अध्यक्ष के रूप में काम किया. नीरज सिंह के मुताबिक यदि तीनों अध्यक्ष के कामों में बात की जाए तो सबसे ज्यादा अवध रानी ने काम किया है. उन्होंने सड़क और बिजली पर विशेष ध्यान दिया है.

वहीं भरसवा गांव के रहने वाले आशीष मिश्रा के मुताबिक ग्रामीणों को यही नहीं मालूम कि जिला पंचायत में क्या-क्या विकास कार्य कराए गए हैं, क्योंकि आज तक जिला पंचायत सदस्य ने उनके गांव या आस पास के क्षेत्रों में कोई भी काम नहीं कराया है.

मवई केवट गांव के रहने वाले मुनौवार हुसैन के मुताबिक उनके गांव की सड़कें 20 साल पहले जिला पंचायत द्वारा बनाई गई थी, लेकिन तब के बाद से आज तक इस सड़क के मरम्मतीकरण न होने से सड़कों में बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं, जिसके कारण आने-जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है.

कौशांबी जिले पर एक नजर

कौशांबी जिले की कुल आबादी 19 लाख 98 हजार 341 है. जिला पंचायत में पिछली बार की 29 सीटों के मुकाबले इस बार केवल 26 सीटें रह गई हैं. जिला पंचायत अध्यक्ष समाजवादी पार्टी की मधुपति निर्वाचित हुई थीं. 14 जनवरी 2016 को उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में काम शुरू किया. करीब 1 साल 3 माह 24 दिन के बाद प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर एक बार जिला पंचायत अध्यक्ष पद बरकरार रखने के लिए मधुपति ने भाजपा जॉइन करने की ठानी, तभी अध्यक्ष के खिलाफ सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव ला दिया.उस समय तत्कालीन डीएम अखंड प्रताप सिंह कार्यवाहक अध्यक्ष बने.

21 मई 2017 को उनका हस्तांतरण हो गया, फिर तत्कालीन सीडीओ दिनेश कुमार ने कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में 1 दिन के लिए कार्यभार ग्रहण किया. एक दिन बाद डीएम मनीष कुमार वर्मा कार्यवाहक अध्यक्ष बने और उन्होंने 3 माह 5 दिन तक पद की जिम्मेदारी संभाली. 28 अगस्त को समाजवादी पार्टी की ही अनामिका सिंह को सदस्यों ने अध्यक्ष के रूप में चुना. एक साल एक माह 17 दिन बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने त्यागपत्र देने के दौरान अधिकारियों को इसके लिए दोषी बताया.

उन्होंने कहा कि अधिकारियों के कारण वह काम नहीं कर पा रही हैं. 16 अक्टूबर 2018 को एक बार फिर डीएम मनीष कुमार वर्मा कार्यवाहक अध्यक्ष बने और 11 माह 22 दिन तक कार्यभार संभाला. इसके बाद 8 अगस्त 2019 को भाजपा की अवध रानी अध्यक्ष पद के लिए चुनी गईं. इसके साथ ही उन्होंने 1 साल 5 माह 5 दिनों तक अपने पद में काम किया. 13 जनवरी 2021 को उनका कार्यकाल समाप्त हो गया है.

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