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इनकी भी सुनिए सरकार, डिप्टी सीएम के गृह जनपद में गांवों के हाल बेहाल - drain water on the roads

कौशांबी जिले में विकास के भले ही लाख दावे किए जा रहे हो, लेकिन जनपद में आज भी कई ऐसे गांव हैं, जहां के ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं तक नसीब नहीं हैं.

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सड़कों पर नालियों का पानी

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Published : Jan 24, 2021, 4:15 PM IST

कौशांबीःडिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के गृह जनपद के ज्यादातर गांव में अधूरे पड़े शौचालय, बजबजाती नालियां, कूड़े के ढेर आपको दिखाई देगा. इतना ही नहीं जिम्मेदारों की घोर लापरवाही से इन गांवों में सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं अभी तक नहीं पहुंच सकी हैं. इन गांवों में भ्रष्टाचार के चलते शौचालय आज भी अधूरे पड़े हैं. गांव में सड़क, पानी और नाली जैसी मूलभूत सुविधाओं से लोगों को वंचित रखा गया है. वहीं ग्रामीणों का आरोप है, कि सफाई कर्मी के गांव न आने से नालियों का पानी सड़क पर आ रहा है. इतना ही नहीं गांव के ग्रामीणों का आरोप है कि उन्होंने जो भी काम मनरेगा के तहत किए हैं, उनका भुगतान आज तक नहीं हुआ.

मजदूरों को नहीं मिला मनरेगा की मजदूरी

सड़कों पर नाली का पानी
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह नगर सिराथू से मजहब 8 किलोमीटर दूर स्थित सेलरहा पूरब गांव की हालत बद से बदतर है. भले ही लोग पंचायत कार्यकाल के 5 साल पूरे हो जाने के बाद चुनाव की तैयारियों में जुटे हो, लेकिन सेलरहा पूरब गांव के ग्रामीण आज भी विकास की राह देख रहे हैं. सेलरहा पूरब गांव की यह दुर्दशा लोगों को हैरान करने वाली है. गांव में सफाई कर्मी के नहीं आने से नालियां चोक पड़ी हुई हैं. जिससे न सिर्फ दुर्गंध से न सिर्फ लोगों का सास लेना दुर्भर हो रहा है. बल्कि गंदा पानी भी सड़क पर भर जाता है. जिससे ग्रामीणों को काफी परेशानियों को सामना करना पड़ रहा है.

मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे ग्रामीण

मनरेगा के के मजदूरों को नहीं मिली मजदूरी
सेलरहा गांव की महिलाओं का कहना है कि उन्हें मनरेगा के तहत काम तो मिला था. लेकिन जो भी काम उन्होंने किया है, उसका भुगतान आज तक उन्हें नहीं मिल पाया है. साल भर बीत जाने के बाद भी उन्हें भुगतान के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. इतना ही नहीं गांव की महिला कमला देवी का आरोप है, कि जब वो किए गए काम की मजदूरी मांगने के लिए प्रधान के पास पहुंची, तो प्रधान ने उनका जॉब कार्ड भी फाड़ कर फेंक दिया. वहीं गांव की ननकी देवी का आरोप है कि उनके पास कोई खेती बारी नहीं है. मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण करती हैं. मनरेगा के तहत एक साल पहले जो काम किया था. उसका भुगतान आज तक नहीं हो पाया है. जिसके चलते उनका और उनके परिवार का जीवन यापन भी नहीं हो पा रहा है.

शौचालय के काम नहीं हुए पूरे
गांव के ही ग्रामीण राजेंद्र सिंह के मुताबिक गांव में अधिकतर लोगों के शौचालय आधे अधूरे पड़े हुए हैं. पैसे निकाल लिए गए हैं, लेकिन शौचालयों का निर्माण नहीं कराया गया है. उनका खुद के शौचालय के लिए आए पैसे को ग्राम प्रधान के पति ने निकाल लिया है. वहीं गांव के ही ज्ञान सिंह का आरोप है कि प्रधान के पति ने उनसे 50 रुपए आवास दिलवाने के नाम पर ले लिए हैं. लेकिन न तो उन्हें आवास मिला और ना ही कोई सरकारी सुविधा. कई बार उन्होंने अधिकारियों से भी शिकायत की, लेकिन कोई भी समाधान नहीं हुआ.

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