कौशाम्बी: जिले में बिछौरा गांव की छोटी पंचायत का फैसला लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. पंचायत का यह फैसला चिलचिलाती धूप और गर्मी में पशु-पक्षियों, खासकर राष्ट्रीय पक्षी मोर के लिए किसी वरदान से काम नहीं है. ग्रामीणों ने आम सहमति से एक पंचायत बुलाई और उसमें सभी ने यह फैसला लिया है कि वह अपने दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाले पानी का कुछ हिस्सा बचाकर गांव, खेत-खलिहान, घर की छत और बाग-बगीचे में पानी को रखेंगे, जिससे इस भीषण गर्मी में मोर को पानी की कमी से दम न तोडना पड़े.
क्या है पूरा मामला
- दरअसल, इस मुहिम की बड़ी जरुरत का सबसे बड़ा कारण साल 2007-08 की वह घटना है, जिसमें जिले के सैकड़ों मोर भीषण गर्मी में पानी के लिए तड़प-तड़प कर मर गए थे.
- कौशाम्बी ने सोलह महाजनपदों में एक वत्स देश की राजधानी कोसम होने का गौरव पाया है.
- यह जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी और भगवान तथागत बुद्ध जैसे युग पुरुषों की तपस्थली रही है.
- अपने अंदर अतुलनीय गौरव को समेटे कौशाम्बी आज आधुनिक दौर में पानी जैसी बुनियादी समस्या से रोज जंग लड़ता है.
- इसके 8 ब्लॉकों में 6 ब्लॉक गर्मियों में पानी की कमी के चलते डार्क जोन घोषित है. ऐसे में पानी की किल्लत से आम आदमी के साथ ही पशु-पक्षी भी पानी की कमी से परेशान रहते हैं.
यह हमारा गांव ससुर खदेरी नदी के किनारे बसा है. जो गर्मियों में पूरी तरीके से सूख जाती है. इस नदी के किनारे हमारा राष्ट्रीय पक्षी मोर रहता है. हम लोगों ने देखा कि इस प्रचंड गर्मी में मोर या तो झुलस जाते हैं या फिर मर जाते हैं, जिसके बाद हम लोगों ने एक आपसी सहमति से मन में विचार किया कि जिस तरीके से हम लोग अपने दैनिक जीवन में पानी का प्रयोग करते हैं, उसका कुछ हिस्सा अपने दैनिक जीवन के प्रयोग से बचाकर पशु-पक्षियों के लिए खासकर मोर के लिए बचाकर खेत- खलियान में, घर के बाहर, छत पर और बाग बगीचे में रखा जाए, ताकि हमारा राष्ट्रीय पक्षी मोर इस पानी को पी कर अपना जीवन बचा सके.
-वीरेंद निर्मल, पूर्व प्रधान, ग्राम बिछौरा