उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

जानिए! राष्ट्रीय पक्षी मोर को बचाने के लिए इन गांव वालों की अनूठी पहल - people are being made aware to save national bird peacock through lyric music

अपने अंदर अतुलनीय गौरव को समेटे कौशाम्बी आधुनिक दौर में पानी जैसी बुनियादी समस्या से रोज जंग लड़ता है. पानी की किल्लत से आम आदमी के साथ ही पशु-पक्षी भी परेशान रहते हैं. ऐसे में बिछौरा गांव के लोगों ने राष्ट्रीय पक्षी मोर को बचाने के लिए अनूठी पहल शुरू की है, देखिए यह खास रिपोर्ट...

ग्रामीणों ने राष्ट्रीय पक्षी मोर को बचाने के लिए की अनूठी पहल.

By

Published : May 20, 2019, 10:11 AM IST

Updated : May 20, 2019, 11:22 AM IST

कौशाम्बी: जिले में बिछौरा गांव की छोटी पंचायत का फैसला लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. पंचायत का यह फैसला चिलचिलाती धूप और गर्मी में पशु-पक्षियों, खासकर राष्ट्रीय पक्षी मोर के लिए किसी वरदान से काम नहीं है. ग्रामीणों ने आम सहमति से एक पंचायत बुलाई और उसमें सभी ने यह फैसला लिया है कि वह अपने दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाले पानी का कुछ हिस्सा बचाकर गांव, खेत-खलिहान, घर की छत और बाग-बगीचे में पानी को रखेंगे, जिससे इस भीषण गर्मी में मोर को पानी की कमी से दम न तोडना पड़े.

ग्रामीणों ने राष्ट्रीय पक्षी मोर को बचाने के लिए की अनूठी पहल, देखें वीडियो.

क्या है पूरा मामला

  • दरअसल, इस मुहिम की बड़ी जरुरत का सबसे बड़ा कारण साल 2007-08 की वह घटना है, जिसमें जिले के सैकड़ों मोर भीषण गर्मी में पानी के लिए तड़प-तड़प कर मर गए थे.
  • कौशाम्बी ने सोलह महाजनपदों में एक वत्स देश की राजधानी कोसम होने का गौरव पाया है.
  • यह जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी और भगवान तथागत बुद्ध जैसे युग पुरुषों की तपस्थली रही है.
  • अपने अंदर अतुलनीय गौरव को समेटे कौशाम्बी आज आधुनिक दौर में पानी जैसी बुनियादी समस्या से रोज जंग लड़ता है.
  • इसके 8 ब्लॉकों में 6 ब्लॉक गर्मियों में पानी की कमी के चलते डार्क जोन घोषित है. ऐसे में पानी की किल्लत से आम आदमी के साथ ही पशु-पक्षी भी पानी की कमी से परेशान रहते हैं.


यह हमारा गांव ससुर खदेरी नदी के किनारे बसा है. जो गर्मियों में पूरी तरीके से सूख जाती है. इस नदी के किनारे हमारा राष्ट्रीय पक्षी मोर रहता है. हम लोगों ने देखा कि इस प्रचंड गर्मी में मोर या तो झुलस जाते हैं या फिर मर जाते हैं, जिसके बाद हम लोगों ने एक आपसी सहमति से मन में विचार किया कि जिस तरीके से हम लोग अपने दैनिक जीवन में पानी का प्रयोग करते हैं, उसका कुछ हिस्सा अपने दैनिक जीवन के प्रयोग से बचाकर पशु-पक्षियों के लिए खासकर मोर के लिए बचाकर खेत- खलियान में, घर के बाहर, छत पर और बाग बगीचे में रखा जाए, ताकि हमारा राष्ट्रीय पक्षी मोर इस पानी को पी कर अपना जीवन बचा सके.
-वीरेंद निर्मल, पूर्व प्रधान, ग्राम बिछौरा

युवा होने के नाते वह इस मुहिम को सोशल मीडिया पर फेसबुक, टि्वटर एवं अन्य माध्यमों से आम लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं ताकि यह मुहिम हर आम इंसान तक पहुंचे और वह भी उनके साथ-साथ पशु पक्षियों को पानी दिए जाने के लिए प्रेरित हो.

-राजेंद्र कुमार, ग्रामीण

अपने गीतों के जरिए लोगों के बीच में नई चेतना का संचार करने वाले मंगला प्रसाद दुबे के मुताबिक पंचायत में यह फैसला लिया गया है कि हम लोगों को मोर की जान बचाना है और उसको पानी पिलाना है. हम लोगों से यही निवेदन करते हैं कि वह घरों में घड़े में, बाल्टी में या दूसरे बर्तनों में छत पर और बगीचे में पानी रखकर पक्षियों की जान बचाएं. पंचायत में यही फैसला हुआ है कि हम लोगों को राष्ट्रीय पक्षी मोर की जान बचाना है.

Last Updated : May 20, 2019, 11:22 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details