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रामलला के भव्य मंदिर की नींव में कड़ाधाम की माटी और पवित्र कुंड के जल का होगा प्रयोग

अयोध्या में प्रस्तावित रामलला के मंदिर निर्माण की नींव में 51 शक्तिपीठ में से एक माता शीतला धाम की मिट्टी एवं मंदिर में स्थित पवित्र कुण्ड के जल का प्रयोग किया जाएगा. पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर का शिलान्यास करेंगे.

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अयोध्या के लिए रवाना जत्था

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Published : Jul 27, 2020, 9:21 PM IST

कौशांबी: अयोध्या में प्रस्तावित रामलला के मंदिर निर्माण की नींव में 51 शक्तिपीठ में से एक माता शीतला धाम की मिट्टी एवं मंदिर में स्थित पवित्र कुण्ड के जल का प्रयोग किया जाएगा. विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर तीर्थ पुरोहितों का एक जत्था मिट्टी व जल लेकर जाएंगे. अयोध्या पहुंचकर पवित्र जल और मिट्टी से भरे कलश को राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय को सौंपा जाएगा.

पीएम करेंगे भूमि पूजन
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को अयोध्या में भगवान श्रीराम के मन्दिर का शिलान्यास करेंगे. इसमें पूरे भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों की पवित्र मिट्टी एवं नदियों का जल नींव में प्रयोग किया जाएगा. इसी के क्रम में करोड़ों लोगों के आस्था का केंद्र बिन्दू प्रदेश के प्रमुख तीर्थ स्थलों में शामिल कड़ा धाम, जहां पूरे भारत से लाखों तीर्थ यात्री साल भर तीर्थाटन के लिए आते रहते हैं. यहां के तीर्थ पुरोहितों ने एक कलश में पवित्र जल तथा दूसरे कलश में मिट्टी भरकर अयोध्या के लिए पुरोहितों का एक जत्था रवाना किया, जहां वे "रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र" ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय को मिट्टी एवं जल सौंपेगे.

कड़ा धाम मंदिर.

रामजन्म भूमि को लेकर कई दशकों तक विवाद चलता रहा है, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हुआ है. इस आंदोलन में यहां के कई बुजुर्ग अपने युवास्था में इस आंदोलन से गहराई से जुड़े थे. शिलान्यास की तारीख की घोषणा के बाद इन बुजुर्गों में नई उत्साह का संचार हुआ है.

'संघर्ष फलीभूत हुआ'
राम मंदिर आंदोलन को याद करते हुए जगत प्रसाद पण्डा भावुक होते हुए बताते हैं कि राम मन्दिर निर्माण दशकों के संघर्ष का परिणाम है. युवावस्था में अपने दर्जनों साथियों के साथ केंद्रीय नेतृत्व के आह्वान पर शासन-प्रशासन की बन्दिशों को धता बताते हुए, पैदल ही कारसेवा के लिए निकल पड़े. जगत प्रसाद पण्डा बताते हैं कि करीब 170 किमी पैदल चले, दो दिन भूखे रहे और जब अयोध्या पहुंचे तो पुलिस की लाठियां भी खायीं, लेकिन संकल्प नहीं डगमगाया. लाख दुश्वारियों के बाद भी हौसला आसमान को छू रहा था. अब जब भगवान श्री राम का मंदिर बन रहा है तो मन में संतोष है कि जवानी का संघर्ष फलीभूत हो रहा है.

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