कौशांबीःजिले में फास्ट टैग कार्ड (fast tag card) पुलिस के लिए मददगार साबित हुआ है. पुलिस ने फास्ट टैग कार्ड के जरिये एक अक्टूबर को हुई लूट का खुलासा करते हुए चार अन्तर्राज्यीय लुटेरों को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने इन चारों लुटेरों के पास से लूटे गए रुपयों को भी बरामद किया है.
बता दें कि घटना कोखराज थाना क्षेत्र के ककोढा गांव के पास एनएच-2 की है. जहां गुजरात के पाटन जनपद के सतालपुर थाना (Satalpur Police Station) क्षेत्र के पर गांव के रहने वाले लाखूजी सिंह के पुत्र अजीत उर्फ पिंटू सिंह आलू और अनाज का व्यापार करते हैं. अजीत ने पुलिस को तहरीर देते हुए बताया कि वह बनारस में रहकर आलू और अनाज की खरीदी और गुजरात उसकी सप्लाई करने का काम करते हैं. एक अक्टूबर को उनके साथी व्यापारी अल्पेस गिरी अपनी कार से रुपये लेकर अपने गांव जा रहे थे. इस दौरान जैसे ही वह कोखराज थाना क्षेत्र के ककोड़ा गांव के पास पहुंचे तो उनकी गाड़ी का फोर्ड और ईको गाड़ी ने ओवरटेक करके रोक लिया. इस दौरान गाड़ी में सवार बदमाशों ने उनके साथ लूट की घटना को अंजाम देकर फरार हो गए. घटना की सूचना मिलते ही एडीजी ने इस घटना के खुलासे के लिए पांच टीमों को लगा दिया.
फास्ट टैग कार्ड की मदद से पुलिस ने दबोचे चार लुटेरे
कौशांबी के कोखराज थाना (Kokhraj Police Station) क्षेत्र में हुई व्यापारी से लूट का पुलिस ने खुलासा कर दिया है.
इस मामले में पुलिस महानिरीक्षक डॉ राकेश सिंह (IG Dr Rakesh Singh) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया को बताया कि लखनऊ के अलग-अलग इलाकों से चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. इनके पास से कुल 15 लाख रुपए बरामद किया गया है. आईजी ने बताया कि पुलिस को इस घटना का खुलासा में सबसे ज्यादा मदद फास्ट टैग कार्ड से मिली है. क्योंकि आरोपियों ने जिस गाड़ी का इस्तेमाल किया था उस गाड़ी में फर्जी नंबर प्लेट लगाए गए थे. हालांकि पुलिस यह बताने में नाकाम रही कि आखिर उस दिन व्यापारी से कुल कितने रुपए की लूट हुई थी. पुलिस का कहना है कि घटना के 13 दिन बीत जाने के बावजूद भी व्यापारी द्वारा यह खुलासा नहीं किया गया है कि आखिर उसके पास कितने रुपए थे.
व्यापारी द्वारा रुपए के खुलासे न करने के सवाल पर आईजी डॉ राकेश सिंह (IG Dr Rakesh Singh) ने बताया कि इस पूरे मामले के लिए इनकम टैक्स विभाग को सूचना दे दी गई है. इनकम टैक्स विभाग के लोग व्यापारी से पूछताछ कर रहे हैं कि आखिर उसके पास कितने रुपए थे. यह रुपए कहां से आए थे. अब सवाल ये उठता है कि आखिर एक-एक रुपये का हिसाब रखने वाले व्यापारी यह क्यों नहीं बता पा रहा है कि उसकी गाड़ी में कितने रुपए थे.
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