कौशांबीः मोदी सरकार भले ही गांव को हर बुनियादी चीज देने के लिए सरकारी खजाने का मुंह खोल रखा है, लेकिन यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का गृह जनपद कौशांबी जिले का एक गांव, आजादी के 73 साल बीत जाने के बाद भी विकास के लिए आंसू बहा रहा है. यही नहीं अधिकारियों की लापरवाही के चलते इस गांव पर आवंटित बजट खर्च होने के बावजूद भी प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन योजना औंधे मुंह पड़ी हुई है.
डिठूरा गांव है मूलभूत सुविधाओं से वंचित
जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर नेवादा ब्लाक के दुर्गापुर का मंजर डिठूरा गांव है. इस गांव में कुल 350 परिवार रहते हैं. गांव में विकास के नाम पर एक ढेला तक नहीं है. न खड़ंजा, न नाली, न शौचालय. एक दशक पूर्व जो सरकारी हैंडपंप लगाए गए थे, वह भी खराब पड़े हैं. लोग प्यास बुझाने के लिए निजी हैंडपंप का सहारा ले रहे हैं. गांव के लोगों को कीचड़ और बदबू से भरी जगह में जीवन यापन करने को मजबूर होना पड़ रहा है.
ग्रामीण खुले में जाते हैं शौच
एक ओर जहां पूरा देश खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया है. वहीं डिठूरा गांव में किसी को शौचालय का लाभ नहीं भी नहीं मिल सका है. शौचालय नहीं मिलने से मजबूर ग्रामीण आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. ग्रामीणों के मुताबिक गांव में कुल 180 शौचालयों का पैसा आया था, पर 10-12 शौचालयों का ही निर्माण करवाया गया है. वो आज भी अधूरे पड़े है.