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हाईकोर्ट ने नगर पंचायत भरवारी को नगर पालिका परिषद बनाने की अधिसूचना को संवैधानिक करार दिया - नगर पालिका परिषद

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कौशांबी जिले की नगर पंचायत भरवारी को नगर पालिका परिषद बनाने की अधिसूचना को संवैधानिक करार दिया है. इसके साथ ही अधिसूचना की वैधता की चुनौती याचिका खारिज कर दी है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.

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Published : Oct 2, 2021, 8:44 PM IST

प्रयागराजःइलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कौशांबी जिले की नगर पंचायत भरवारी को उच्चीकृत कर नगर पालिका परिषद बनाने की 26 अक्टूबर 2016 की अधिसूचना को संवैधानिक करार दिया है. कोर्ट ने कहा है कि जनसंख्या वृद्धि प्रतिदिन हो रही है. पंचायत को परिषद में उच्चीकृत करना जनहित में है, इससे बेहतर विकास होगा. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति साधना रानी ठाकुर की खंडपीठ ने ग्राम प्रधानों व ग्रामीणों की तरफ से दाखिल सुषमा देवी व 8 अन्य और संतोष कुमार त्रिपाठी व 7अन्य की याचिका पर दिया है.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जिलाधिकारी ने आपत्तियों पर विचार करने के बाद राज्यपाल को संस्तुति की. राज्यपाल ने संविधान के उपबंधों के तहत उच्चीकृत करने का फैसला लिया. कोर्ट ने आरटीआई रिपोर्ट को सक्षम प्राधिकारी की नहीं माना और कहा कि अधिशासी अधिकारी की जनसंख्या वृद्धि दर की रिपोर्ट तथ्यात्मक है. जिसे अनुच्छेद 226 के तहत दाखिल याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता. इसके बाद कोर्ट ने नगर पंचायत भरवारी को नगर पालिका परिषद उच्चीकृत करने की अधिसूचना की वैधता की चुनौती याचिका खारिज कर दी है.

हाईकोर्ट में याची की ओर से कहा गया कि 10 नवंबर 2014 के शासनादेश में निकायों के उच्चीकृत करने के मानक तय किए गए हैं. मानक के अनुसार वार्षिक आय, जनसंख्या, जनसंख्या घनत्व प्रति वर्ग किमी के आधार पर निकाय को उच्चीकृत किया जा सकता है. प्रश्नगत मामले में इसका ख्याल नहीं रखा गया है. शासनादेश का उल्लंघन किया गया है. 2011की जनगणना के अनुसार जनसंख्या व घनत्व कम है. नगर पंचायत के लिपिक द्वारा जारी आरटीआई के अनुसार वार्षिक आय कम है.

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सरकार का कहना था कि 2016 में अधिसूचना जारी की गई है. पिछले पांच सालों में जनसंख्या वृद्धि हुई है. वार्षिक आय को अधिशासी अधिकारी ने रिपोर्ट दी है. याची की रिपोर्ट विश्वसनीय नहीं है. सक्षम प्राधिकारी की रिपोर्ट नहीं है. शासनादेश एक गाइडलाइंस है. निर्णय सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए राज्यपाल द्वारा किया गया है. निर्णय संविधान के अनुच्छेद 243एक्स के तहत लिया गया है.

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