कौशांबी: डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद में सिंचाई के लिए सरकारी नलकूप लगाए गए थे. इनमें से ज्यादातर बंद पड़े हैं. समस्या से अवगत कराने के बाद भी विभागीय अफसर और माननीय समस्या को दूर नहीं करा रहे हैं. सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने की से किसानों ने तकरीबन 30 बीघे खेत में खेती करना छोड़ दिया है. सालों से खेती नहीं होने से ये खेत बंजर होने लगे हैं. इतना ही नहीं लगभग 70 बीघे के काश्तकारों को निजी नलकूपों का सहारा लेना पड़ रहा है. इससे खेती की लागत बढ़ रही है.
सिराथू तहसील के महंदापुर (नारा) और बलीपुर गांव में वर्ष 2007 में चौधरी चरण सिंह नलकूप योजना के तहत नलकूप लगाया गया था. इससे सैकड़ों बीघे खेत की सिंचाई होती थी. सिंचाई के एवज में किसानों को हर साल सिर्फ 60 रुपये देने पड़ते थे. समय के साथ वाटर लेवल नीचे जाने की वजह से तकरीबन 3 साल पहले यह दोनों नलकूप ठप हो गए. इसकी वजह से किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
किसानों की भूमि हुई बंजर
नलकूप खराब और पानी न मिलने की वजह से तकरीबन 30 बीघे में किसानोंं ने खेती करना छोड़ दिया है. खेती बंद किए जाने से अब यह भूमि बंजर हो चुकी है. इससे किसानों की आय पर भी असर पड़ा है.
निजी नलकूपों से सिंचाई से खर्ज बढ़ा
किसानों की मानें तो उन्हें खेती किसानी करने के लिए निजी नलकूपों का सहारा लेना पड़ रहा है. निजी नलकूपों के ज्यादातर पाइप फटे रहते हैं. इसके कारण सिचांई के लिए कई घंटे पानी चलवाना पड़ता है. इससे किसानों की जेब ढीली हो रही है. उनकी आय पर भी इसका असर पड़ता है.
निजी नलकूप को देने पड़ते है 100 से 150 रुपये प्रति घंटे