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कौशाम्बी: छत्तीसगढ़ के नक्सली मुठभेड़ में CRPF का जवान शहीद, गांव में पसरा मातम

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Published : Nov 8, 2019, 12:11 AM IST

उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी के अलवारा गांव के रहने वाले CRPF के एक जवान नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए. जिनका पार्थिव शरीर गुरुवार को गृह जिले में भेज दिया गया. CRPF जवान के शहीद होने की सूचना जैसे ही परिवार वालो को हुई तो गांव में मातम छा गया.

नक्सली मुठभेड़ में एक CRPF जवान शहीद

कौशाम्बी: छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुए सीआरपीएफ और नक्सलियों के मुठभेड़ में जिले का एक लाल शहीद हो गया. 151वीं बटालियन की टुकड़ी और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हो गई, जिसमें नक्सलियों की गोली से कामता प्रसाद घायल हो गए. घायल कामता प्रसाद की इलाज के दौरान मौत हो गई. कामता प्रसाद के शहीद होने की सूचना जैसे ही परिवार के साथ गांव वालों को हुई तो गांव में मातम छा गया. कामता प्रसाद 21 अक्टूबर को छुट्टियां बिताने के बाद ड्यूटी पर वापस गए थे. सीआरपीएफ के जवान कामता प्रसाद अपने पिता के एकलौते पुत्र थे.

नक्सली मुठभेड़ में एक CRPF जवान शहीद

नक्सली मुठभेड़ में एक CRPF जवान शहीद

  • जिले के पश्चिम शरीरा थाना क्षेत्र के अलवारा गांव के रहने वाले शहीद कामता प्रसाद अपने पिता के एकलौते बेटे थे.
  • बताया जा रहा है कि कामता प्रसाद सीआरपीएफ की 151 वीं बटालियन की टुकड़ी के सिपाही थे.
  • सुबह 151 वीं बटालियन की टुकड़ी और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हो गई.
  • मुठभेड़ में कामता प्रसाद गोली लगने के बाद घायल हो गए.
  • कामता प्रसाद की घायल होने की सूचना घर वालों को दी गई, लेकिन थोड़ी ही देर बाद उन्हें कामता प्रसाद की मौत की खबर मिल गई.
  • कामता प्रसाद के शहीद होने की खबर जैसे ही घर वालों के साथ ग्रामीणों को हुई, तो गांव में मातम फैल गया.

इसे भी पढ़ें- बीजापुर: नक्सली हमले में शहीद जवान का पार्थिव शरीर भेजा गया उनके गृहग्राम

गांव के लोग कामता प्रसाद के घर पहुंचे और उनके माता-पिता को सांत्वना दी. कामता प्रसाद की माता श्यामकली 2 वर्षों से चारपाई पर पड़ी हैं, जो उठ, चल-फिर नहीं पाती हैं. कामता प्रसाद के पिता ने बताया कामता प्रसाद छुट्टी बिताने के बाद 21 अक्टूबर को गए थे. आस-पड़ोस के लोगों का भी कहना है कि कामता प्रसाद बहुत ही नेकदिल इंसान थे. वह जब भी गांव की छुट्टियों में आते थे तो हर कोई के सुख दुख पूछते और बताते रहते थे.

शहीद कामता प्रसाद के ससुर मुन्ना प्रसाद के मुताबिक वह बहुत खुशकिस्मत हैं कि उन्हें कामता प्रसाद जैसा दामाद मिला था. वह जब भी गांव छुट्टियों में आते थे तो उनसे जरूर मिलते थे. मिलने के बाद सुख-दुख बांटा करते थे.

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