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कौशांबी: ताजिया कारोबार पर लगा कोरोना का ग्रहण, कारोबारी परेशान - ताजिया कारोबार पर लगा कोरोना का ग्रहण

उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में ताजिया कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है. प्रशासन ने कोरोना के चलते इस बार ताजिया निकालने पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिसके चलते इससे जुड़े कारोबारियों के सामने जीविकोपार्जन का संकट खड़ा हो गया है.

tajia business in kaushambi
कौशांबी में ताजिया कारोबार कोरोना से प्रभावित.

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Published : Aug 29, 2020, 3:54 PM IST

कौशांबी: कोरोना महामारी से देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है. न जानें कितने परिवार मुफलिसी की जिंदगी जी रहे हैं. कोरोना संक्रमण से कारोबार से लेकर हुनर तक प्रभावित हुआ है. वहीं मोहर्रम के दिनों में ताजियदारी पर लगे प्रतिबंध से जिले में इससे जुड़े ताजिया कारीगरों व ताजिया बेचकर परिवार चलाने वालों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. इन कारीगरों की ताजिया मुल्क में ही नहीं, विदेशों में भी भेजी जाती थी, लेकिन इस बार कोविड-19 के चलते हर धर्मिक कार्यक्रम पर रोक लगी हुई है. वहीं इस काम से जुड़े परिवार ने ताजिया रखे जाने की प्रशासन से अपील की हैं, जिससे उनके सामने खाने का संकट न हो.

कोरोना के चलते ताजिया कारोबार बुरी तरह प्रभावित.

दरअसल, जिले के कड़ा गांव के लोग ताजिया बनाकर अपना जीविकोपार्जन करते हैं. यह जिले का एक ऐसा गांव है, जहां घर-घर लोग ताजिया बनाते हैं. यहां के लोग ताजिया बनाकर उसे बेचने का इंतजार करीब 8 महीने पहले से कर रहे थे, लेकिन कोरोना वायरस के चलते इस बार शासन और प्रशासन ने अपने घर के अंदर रहकर ताजियदारी मनाने का ऐलान किया है. इससे ताजिया कारोबारी परेशान हो गए हैं.

कोरोना वायरस के चलते इस बार प्रशासन ने मना कर दिया है कि मोहर्रम में इमाम चौक पर ताजिया नहीं रखी जाएगी. इसके साथ ही ताजिया कारोबारियों को हिदायत दी गई है कि ताजिया न बेची जाए. अगर ताजिया बेची गई तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. साथ ही जो खरीददार हैं, उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी. इससे कारोबारी काफी परेशान हैं.

बता दें कि जिले में कई जगह ताजिया कारोबार होता है. जनपद में लगभग डेढ़ सौ परिवारों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. ताजिया कारोबारियों का कहना है कि ताजिया बेचने में छूट दी जाए, नहीं तो हम बच्चे कैसे पालेंगे. उनका कहना है कि सरकार हमारी मांग को सुनें और ताजिया बेचने की छूट दे.

इस्लामिक कैलेंडर में मोहर्रम साल का पहला महीना हैं. इसी महीने में मोहम्मद साहब के नवासे और हज़रत अली के बेटे इमाम हुसैन ने इंसान और इंसानियत को बचाने के लिये उस वक्त के सबसे ताकतवर बादशाह यजीद के लाखों के लश्कर से लड़े और अपने 72 साथियों के साथ कर्बला के मैदान में शहीद हो गए. उन्होंने ये पैगाम दिया कि जालिम चाहे जितना भी ताकतवर हो, ज़ुल्म के आगे नहीं झुकना चाहिए. इमाम का लाशा कई दिनों तक मैदान में बेगोरो कफन पड़ा था. उसी को याद कर मुसलमान मोहर्रम के महीने में गम मनाते हैं और ताजिया बना कर मोहर्रम की 10 तारीख को कर्बला में दफन करते हैं.

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अपर पुलिस अधीक्षक समर बहादुर सिंह के मुताबिक जिले में धारा 144 लागू हैं. 30 सितम्बर तक कोई भी धर्मिक कार्यक्रम नहीं हो सकता हैं. शासन के अनुसार भीड़ एकत्रित न करे नहीं तो कार्रवाई की जाएगी.

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