कासगंज :यूपी के कासगंज और एटा दस्यु गिरोहों का गढ़ रहा है. छविराम, पोथी, कलुआ सहित अनेक दस्यु यहां की ज़मीन पर पले बढ़े हैं. इन सभी दस्यु गिरोहों की एक आराध्य देवी रहीं हैं, "स्वयं भू देवी स्योर", जो वर्तमान में कासगंज ज़िले की पटियाली तहसील के दरियावगंज क्षेत्र में हैं. आख़िर क्यों दस्यु (डकैत) गिरोहों की आराध्य रहीं हैं यह देवी? इस रहस्य को जानने आज ईटीवी भारत की टीम देवी स्योर मंदिर पहुंची. देवी मंदिर के सेवायत राजीव पालीवाल से बातचीत की.
स्योर मंदिर पूर्व में एटा जनपद में था लेकिन अलग जनपद बनने के चलते अब यह कासगंज जनपद में आता है. लगभग डेढ़ सौ वर्ष पुराने देवी स्योर मंदिर के बारे में मान्यता है कि इनकी चौखट पर आकर जो भी श्रद्धा से मांगता है, देवी स्योर उसकी मनोकामना पूरी करतीं हैं. लोग अपनी मन्नत मांगते समय मंदिर की दीवारों पर सतिया भी बनाते हैं. श्रद्धालु मानते हैं कि ऐसा करने पर देवी मां उनकी मनोकामना पूरी करतीं हैं.
देवी स्योर पर डकैत चढ़ाते थे घंटा :देवी स्योर मंदिर के सेवायत राजीव पालीवाल ने बताया कि इस इलाके में 60-70 और 80 के दशक में दस्यु (डकैतों) गिरोहों का ज़बरदस्त प्रभाव था. उस समय के मशहूर दस्यु गिरोहों में छविराम और पोथी प्रमुख थे. इसके अलावा कई अन्य छोटे गिरोह भी थे. यह सभी गिरोह किसी भी घटना को अंजाम देने से पहले देवी स्योर मंदिर पर माथा टेकने अवश्य जाते थे. कार्य मे सफलता के लिए मनौती मांगते थे. जब मनौती पूरी होती तो दस्यु सरदार देवी पर प्रसाद और घंटा चढ़ाते थे क्योंकि उनको लगता था कि देवी के मंदिर पर माथा टेकने के बाद कार्य करने से उनका कार्य सफल होता था. इस तरह देवी स्योर डकैतों की आराध्य कही जाने लगीं.