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औषधीय खेती ने बदली किसान की किस्मत - कासगंज के किसान ब्रजमोहन

उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में किसानों में औषधीय और सगंधीय खेती की तरफ रुझान बढ़ा है, जिसके चलते सैकड़ों किसान अब इन फसलों की खेती करने की तरफ बढ़ रहे हैं. इन किसानों को ब्रजमोहन जैसे किसान प्रेरणा देने का कार्य कर रहे हैं. अकेले ब्रजमोहन लगभग आधा दर्जन सगंधीय फसलों की खेती कर रहे हैं. ईटीवी भारत ने किसान ब्रजमोहन से बात कर इन फसलों के बारे में जानकारी ली.

story of farmer brajmohan
कासगंज बन रहा औषधीय और सगंधीय खेती का हब.

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Published : Dec 27, 2020, 4:39 PM IST

Updated : Dec 27, 2020, 5:11 PM IST

कासगंज : ब्लॉक सिढ़पुरा के ग्राम सिरसौल के रहने वाले किसान ब्रजमोहन कुम्हार जाति से हैं और 2013 से सगंधीय फसलों की खेती कर रहे हैं, जिसमें उन्हें मुनाफा ज्यादा हुआ है. खेती के अलावा ब्रजमोहन पशु चिकित्सालय सिढ़पुरा के अंतर्गत पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान का कार्य भी करते हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट...

8 सगंधीय फसलों की कर रहे खेती

किसान ब्रजमोहन आठ सगंधीय फसलों की खेती कर रहे हैं, जिनमें मुख्य रूप से लेमन ग्रास, पामा रोजा, खस, जिरेनियम, तुलसी, जंगली गेंदा, कैमोमाइल, और मैंथा सहित लगभग 8 फसलें शामिल हैं....

लेमन ग्रास और पामा रोजा की फसल

लेमन ग्रास और पामा रोजा का प्रयोग मुख्य रूप से मच्छर लोशन, साबुन, शैम्पू और अन्य कॉस्मेटिक प्रोडक्ट में किया जाता है. इस फसल को खेतों में स्लिप के माध्यम से लगाया जाता है. इस फसल को लगाने में एक एकड़ में वर्ष भर की कुल लागत लगभग 30 हजार रुपये आती है. यह फसल वर्ष में तीन बार काटी जाती है. इस तरह किसान वर्ष में इस फसल से 70 हजार रुपये की आमदनी कर सकता है. यह फसल फरवरी से मार्च के बीच में रोपी जा सकती है.

किसान ब्रजमोहन.

कैमोमाइल की फसल

कैमोमाइल की फसल अक्टूबर माह में लगाई जाती और इसकी कटाई मार्च में की जाती है. इस फसल में एक एकड़ में कुल लागत 30 हजार रुपये आती है और इस फसल में एक एकड़ में कुल 3 किग्रा तेल निकलता है, जिसकी कीमत 25 से 30 हजार रुपये प्रति किलो है. यह तेल कॉस्मेटिक प्रोडक्टों और एरोमा थेरेपी में प्रयोग किया जाता है. इसके सूखे फूलों से विशेष प्रकार की चाय बनाई जाती है.

जिरेनियम की फसल

इस फसल को अक्टूबर माह से फरवरी माह तक कभी भी लगा सकते हैं. यह कटिंग से लगाया जाता है. पहले इसकी पौध बांस के बने हुए स्ट्रक्चर के अंदर तैयार की जाती है, जो मार्च में लगाई जाती है. उस स्ट्रक्चर पर बरसात से पहले पॉलीथिन पारदर्शी सीट डाली जाती है. इस फसल की एक एकड़ में कुल लागत 30 हजार रुपये आती है. इसका तेल एक एकड़ में 8 से 10 किग्रा तक निकलता है, जिसकी बाजार में कीमत 10 हजार से 20 हजार रुपये तक रहती है. इसके तेल का प्रयोग उच्च क्वालिटी के परफ्यूम बनाने में किया जाता है.

खेत में किसान ब्रजमोहन.
मैंथा की फसल

इस फसल को लगाने का समय जनवरी से मार्च तक का है. इस फसल की लागत एक एकड़ में लगभग 25 हजार रुपये तक आती है. इसका तेल एक एकड़ में कुल 55 से 70 किग्रा निकलता है, जिसका बाजार भाव 900 से 1500 रुपये तक रहता है. इसके तेल का प्रयोग मुख्य रूप से टूथ पेस्ट, बॉम और मिंट फ्लेवर वाले उत्पादों में होता है.

पशुओं के लिए नेपियर ग्रास

यह घास पशुओं के लिए बहुवर्षीय हरे चारे के रूप में प्रयोग की जाती है. इसको फरवरी से सितंबर के बीच में कभी भी लगाया जा सकता है. फरवरी से नवंबर तक इसको आठ बार काटा जा सकता है. इसमें अन्य चारों से प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, जो 15 से 16 प्रतिशत तक होती है. यह घास एक बार लगाने के बाद 10 वर्षों तक चलता है. इसकी वर्ष भर में लागत लगभग 10 हजार रुपये आती है.

तेलों को निकालने के लिए लगाई आसवन यूनिट

किसान ब्रजमोहन ने सभी सगंधीय फसलों से तेल निकालने के लिए गांव में ही आसवन यूनिट (तेल निकालने का प्लांट) लगा रखा है, जिससे उन्हें तेल निकलवाने बाहर नहीं जाना पड़ता. बल्कि वह कासगंज सहित अन्य जिलों के किसानों की फसलों का तेल निकाल कर उससे अतिरिक्त आमदनी करते हैं.

आसवन यूनिट.
खुद की बनाई कंपनी

किसान ब्रजमोहन ने अपनी फसलों के तेल को बेचने के लिए एक कंपनी 'यथावत एरोमेटिक', जिसमें वह डायरेक्टर के पद पर हैं, मनेंद्र यादव के निर्देशन में बना रखी है. इस कंपनी के माध्यम से वह अपना और अन्य किसानों के सभी सगंधीय तेलों को खरीदने और बेचने का कार्य करते हैं.

किसानों को दे रहे प्रेरणा

मुख्य रूप से तम्बाकू, मक्का, बाजरा, धान, सरसों और गेहूं की खेती वाले इस क्षेत्र में किसान ब्रजमोहन सगंधीय और औषधीय खेती के प्रति लोगों को जागरूक और प्रेरणा देने का कार्य कर रहे हैं. अब वह दिन दूर नहीं, जब कासगंज जनपद औषधीय एवं सगंधीय फसलों की खेती का हब बन जाएगा, क्योकि लगभग 500 किसान इस खेती से जुड़ रहे हैं.

Last Updated : Dec 27, 2020, 5:11 PM IST

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