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आज है पितृ अमावस्या, जानिए क्या है श्राद्ध करने का सही तरीका

इस बार पितृ पक्ष 14 सितंबर से शुरू हो गए हैं और 28 सितंबर तक रहेंगे. इस दौरान मनुष्य को पितरों का तर्पण और विशेष तिथि को श्राद्ध अवश्य करना चाहिए. ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं.

जानिए श्राद्ध करने का सही तरीका.

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Published : Sep 24, 2019, 10:31 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 9:08 AM IST

कासगंज: भाद्रपक्ष मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक पितृ पक्ष मनाया जाता है. इस बार पितृ पक्ष 14 सितंबर से शुरू हो गए हैं और 28 सितंबर तक रहेंगे. इस दौरान पितरों को तर्पण और विशेष तिथि को श्राद्ध अवश्य करना चाहिए. इस पक्ष में पितृ यमलोक से धरती पर आते हैं और अपने परिवार के आस-पास विचरण करते हैं. पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध डाला जाता है. जिसमें ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है ताकि पितरों को शांति मिलती है और वो आशीर्वाद देते हैं. पितरों के आशीर्वाद से घर में सुख-शांति के अलावा आर्थिक समृद्धि भी मजबूत होती है.

जानकारी देते आचार्य योगेश चन्द्र गौड़

सही तिथि पर करें श्राद्ध
पितृपक्ष में श्राद्ध को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं, जिसका पालन करना चाहिए. पुराणों के अनुसार व्यक्ति की मृत्यु जिस तिथि को हुई होती है, उसी तिथि में उसका श्राद्ध करना चाहिए. यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु के दिन का पता न हो उनका श्राद्ध अमावस्या तिथि को करना चाहिए.


जानें श्राद्ध करने की सही विधि
श्राद्ध को हमेशा दोपहर के समय करना चाहिए, लगभग दोपहर 12 बजे के बाद, क्योंकि सुबह का समय देवी-देवताओं के लिए निर्धारित है. श्राद्ध मनुष्य की मृत्यु वाली तिथि को किया जाता है. जैसे अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु एकादशी को हुई है तो उस मनुष्य का श्राद्ध एकादशी तिथि को डाला जाएगा. श्राद्ध वाले दिन सुबह उठकर घर की अच्छे से साफ-सफाई करें और घर के आंगन में रंगोली बनाए. घर की देहरी को जल से साफ करें और फूल अर्पण करें. जिस व्यक्ति का श्राध्द डाल रहे हों उस दिन उस अमुक व्यक्ति के मनपसंद का खाना बनाएं. श्राध्द में लहसुन-प्याज का इस्तेमाल निषेध है. पितरों की सभी क्रियाएं जनेऊ दाएं कंधे पर रखकर और दक्षिण दिशा में मुख कर की जाती है.

काले तिल, सफेद पुष्प, जौ और दूध से करें तर्पण
शास्त्रों के अनुसार, पितरों को भोजन देने से पहले पांच जगह भोजन निकाला जाता है, जिसमें गौ(गाय), श्वान(कुत्ता), काक(कौवा), देवादि, पिपीलिका(चीटीं) को भोजन निकाला जाता है. पहले इनको तृप्त किया जाता है. इसके बाद ब्राह्मण को बुलाकर तर्पण और पिंडदान करवाएं. वहीं तर्पण हमेशा काले तिल से किया जाता है. फिर ब्राह्मणों को कुशा के आसन पर बैठाकर भोजन कराएं और फिर ब्राह्मण के पैर छूकर और वस्त्र और दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें. वहीं पितरों से ये प्रार्थना करें कि जाने-अनजाने में कोई गलती हो गई हो तो क्षमा करें. इसके बाद पूरा परिवार एकसाथ बैठकर भोजन करें.

Last Updated : Sep 28, 2019, 9:08 AM IST

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