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कासगंज: पशुओं के कान में लटका छल्ला बनेगा पशुओं का आधार कार्ड - कासगंज खबर

प्रदेश के 47 जनपदों में राष्ट्रीय पशुरोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत एफएमडी टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. यह अभियान आगामी 30 अक्टूबर तक चलेगा. इस अभियान के तहत पशुओं को कान में छल्ला पहनाया जा रहा है, ये छल्ला ही अब पशुओं का आधार कार्ड होगा.

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कासगंज में एफएमडी टीकाकरण अभियान

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Published : Oct 14, 2020, 9:04 AM IST

कासगंज:उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय पशुरोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत एफएमडी टीकाकरण अभियान प्रदेश के 47 जनपदों में चलाया जा रहा है, जो आगामी 30 अक्टूबर तक चलेगा. वहीं पशुओं को कान में छल्ला पहनाने के लिए भी पशु पालकों को जागरूक किया जा रहा है. क्योंकि कान का छल्ला ही पशुओं का आधार कार्ड होगा. इसी छल्ले में पशु की पूरी जानकारी फीड होगी. कासगंज जनपद में भी यह अभियान जोर-शोर से चल रहा है. इस विषय मे ईटीवी भारत को पशु चिकित्साधिकारी डॉक्टर नीरज यादव ने जानकारी दी.

पशु चिकित्साधिकारी डॉक्टर नीरज यादव ने बताया कि कासगंज जनपद के सभी सात विकास खण्डों की प्रत्येक ग्राम पंचायत में चयनित वेक्सीनेटर एवं सहायक के द्वारा घर घर जा कर पशुओं के टीकाकरण का कार्य निःशुल्क किया जा रहा है. जनपद में कुल 79,666 गौवंश, 5 लाख 27 हज़ार 709 महि वंशीय पशुओं के टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है. सभी पशु पालकों से अनुरोध किया जा रहा है कि वह अपने पशुओं का टीकाकरण अवश्य कराएं.

डॉक्टर नीरज यादव ने बताया कि पशुओं को कान में एक टैग पहनाया जाएगा जिसमे 12 डिजिट का एक कोड होगा जैसे आम आदमी का आधार कार्ड होता है वैसे ही पशुओं का भी आधार कार्ड होगा. उस टैग में पशु की सम्पूर्ण जानकारी फीड रहती है. जिसके चलते उस टैग का यह फायदा है कि अगर पशु कहीं खो जाता है तो पशु के कान में लगे उस टैग को एप के माध्यम से स्कैन कर पशु की पूरी जानकारी जुटाई जा सकती है. जिससे पशु की सुरक्षा व देखभाल में आसानी रहेगी.

डॉक्टर नीरज यादव के अनुसर जागरूकता एवं शिक्षा के अभाव के चलते कासगंज जनपद के कुछ गांवों में इस टैग का विरोध भी देखने को मिला जिसके चलते कई पशुपालकों ने अपने पशुओं को टैग (छल्ला) नहीं पहनाया. पशुपालकों में यह भ्रांति देखने को मिली कि हमारे पशुओं को जब टैग लगाया जाता है तो हमारे यहां बच्चों के विवाह के रिश्ते नहीं आते. पशु पालकों को लगता है कि रिश्तेदार यह समझते हैं कि उनका पशु बैंक से कर्ज लेकर लिया गया है. इस प्रकार की घटनाओं के बाद पशु पालन विभाग के जागरूकता कार्यक्रम में तेज़ी ज़रूर आई है, लेकिन अभी भी कई पिछड़े इलाकों में जागरूकता की आवश्यकता है.

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