कासगंज:शास्त्रों में विद्यालय को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है. शिक्षक को भगवान भगवान स्वरूप माना जाता है, क्योंकि गुरु ही भगवान के होने का ज्ञान अपने शिष्य को कराता है. शिक्षक के द्वारा ही बेहतर समाज का निर्माण किया जा सकता है. कासगंज के एक ऐसे ही युवा दीपक कुमार हैं. दीपक ने पुलिस की नौकरी को त्याग कर शिक्षक की नौकरी को अपनाया है.
संवाददाता से बात करते दीपक कुमार. कासगंज के 308/01 आवास विकास कॉलोनी के रहने वाले दीपक कुमार 2015 बैच के पुलिसकर्मी हैं. 2015 में दीपक यूपीपी की दो परीक्षा में उत्तीर्ण हुए. इसके बाद 2015 में ही ट्रेनिंग के बाद 2016 में दीपक की पहली पोस्टिंग हरदोई में सिपाही के पद पर हुई. अभी भी दीपक हरदोई में तैनात हैं. इसी बीच उन्होंने सुपर टेट की परीक्षा 6 जनवरी 2019 को दी. जुलाई में काउंसिलिंग के बाद कोर्ट से स्टे हो गया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि 37500 शिक्षा मित्रों के पदों को रिज़र्व करके सरकार चाहे तो 3277 पदों पर भर्ती कर सकती है. उसी आदेश के क्रम में यह भर्तियां हुईं. इसमें कासगंज के रहने वाले दीपक कुमार भी शामिल हैं.
दीपक कुमार ने बताया कि उन्होंने 2011 में पुलिस भर्ती में फॉर्म डाला था, लेकिन भर्ती रद्द हो गई थी. उसके बाद उन्होंने शिक्षक बनने की तैयारी शुरू की. दीपक ने बताया कि उन्होंने बीएड, एमएड, एमकॉम किया, लेकिन शिक्षकों की भर्तियां लंबित चली आ रही थीं. इस वजह से 2015 मे पुलिस सर्विस ज्वाइन कर ली. इसके बाद पुलिस में रहते हुए ही सुपर टेट की परीक्षा दी. परीक्षा में उत्तीर्ण हुआ और आज कोर्ट के आदेश के बाद योगी सरकार ने 31,277 भर्तियों के आदेश दिए. नौकरी के साथ पढ़ाई के सवाल पर दीपक ने बताया कि पुलिस की नौकरी 24 घंटे की होती है. ऐसे में परीक्षा की तैयारी करना चुनौती पूर्ण था. बीच-बीच में उन्होंने तैयारी की और इसके लिए कई बार छुट्टियां भी लीं.
दीपक ने बताया कि शिक्षक बनना शब्दों में बयान करना मुश्किल है. उनके ऊपर अब जिम्मेदारी है. इस पद का वह ईमानदारी से निर्वहन करेंगे. उनके कई पुलिसकर्मी साथी अन्य विभाग में नौकरियों के लिए तैयारियां कर रहे हैं. उनसे कहना है कि कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहना चाहिए.