कानपुर : दशहरा के त्योहार के अवसर पर लोग रावण का पुतला फूंककर असत्य पर सत्य की जीत मानते हैं. लेकिन रावण के पुतले बनाने वाले अब बद से बदतर की स्थिति में आ गए हैं. अनलॉक के बाद धीरे-धीरे काम शुरू होने लगे हैं. लेकिन इन कामगारों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. कारीगरों का कहना है कि ऐसी स्थिति पिछले 20 सालों में कभी नहीं देखी गई है. इस बार रावण के पुतले नहीं बिके तो वो दोबारा से बनाना बंद कर देंगे.
32 साल में पहली बार हुआ नुकसान
कारीगर शेरू ने बताया कि वो पिछले 32 साल से रावण का पुतला बना रहे हैं. इस काम से वे अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. लेकिन इस बार कोरोना के चलते उन्हें बहुत नुकसान हुआ है. उनका कहना है कि पिछले 20 सालों में इस तरह की स्थिति कभी नहीं आई. पहले रावण के पुतले की बहुत मांग थी, लेकिन इस बार लागत निकालना भी बहुत मुश्किल लग रहा है.