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अप्रशक्षित कंपाउडर के इलाज से महिला की मौत, परिजनों ने किया हंगामा

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में अप्रशिक्षित कंपाउडर की लापरवाही से महिला मरीज की मौत हो गई. महिला की मौत से गुस्साए परिजनों ने देर रात तक क्लीनिक पर जमकर हंगामा किया. सूचना पर पहुंची पुलिस ने उचित कार्रवाई का आश्वासन देकर परिजनों को शांत कराया.

कानपुर में हंगामा करते मृतक के परिजन.
कानपुर में हंगामा करते मृतक के परिजन.

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Published : Nov 28, 2020, 7:09 AM IST

कानपुरः जिले के एक क्लीनिक में शुक्रवार को अप्रशिक्षित कंपाउडर की लापरवाही से महिला की मौत हो गई. महिला की मौत से गुस्साए परिजनों ने देर रात तक क्लीनिक पर जमकर हंगामा किया. हंगामे की सूचना पर पहुंची पुलिस ने उचित कार्रवाई का आश्वासन देकर परिजनों को शांत कराया.

बुखार आने पर महिला को किया था क्लीनिक में भर्ती
जिले के महाराजपुर थाना क्षेत्र के बौसर गांव के धर्मेंद्र ने शुक्रवार दोपहर को सरसौल कस्बे में स्थित वर्मा क्लीनिक में अपनी भाभी गुड़िया को बुखार होने पर उपचार के लिए भर्ती कराया था. क्लीनिक में परिजनों द्वारा मना करने के बाद भी कंपाउडर ने गुड़िया पत्नी विनोद को ग्लूकोज की बोतल लगा दी गई, जिससे मरीज की मौत हो गई. महिला की मौत की खबर सुनते ही परिजनों में कोहराम मच गया.

परिजनों ने कई घंटों तक किया हंगामा
इसके बाद परिजनों ने कंपाउडर और डाक्टर की लापरवाही का आरोप लगाते हुए क्लीनिक पर हंगामा करने लगे. कई घंटों चले परिजनों के हंगामा करने के बाद बिचौलियों द्वारा पैसे लेकर मामले को दबाने का प्रयास किया जाने लगा. धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि उसके मना करने के बावजूद कम्पाउंडर द्वारा ग्लूकोज की बोतल लगा दी गई, जिससे उसकी भाभी की मौत हो गयी. मजदूरी कर अपना परिवार चला रहे विनोद के परिवार में 3 बेटियां व एक बेटा हैं. पत्नी की मौत की खबर सुनकर विनोद और उसके परिवार वालों का रो-रोकर बुरा हाल है. बवाल की सूचना पर मौके पर पहुंचे महराजपुर थाना अध्यक्ष राघवेंद्र सिंह द्वारा परिजनों की तहरीर के आधार पर कार्रवाई करने की बात कही गई है.

क्षेत्र में झोलाछाप क्लीनिकों की भरमार
क्षेत्र में चिकित्सा व्यवस्था की बुरी हालत की वजह से ही झोलाझाप क्लीनिकों की बाढ़ सी आ गयी है. डिग्रियों से सुसज्जित बोर्ड, डिजाइनदार फर्नीचर और महंगे कपड़े देखकर मरीज इनके झांसे में आ जाते हैं. समुचित इलाज का ठेका लेकर ये मरीज को फंसाते हैं. बात न बनने पर यह मरीज को शहर में उस डॉक्टर के यहां रेफर कर देते हैं जिनकी डिग्री के नाम पर ये झोलाछाप कस्बे व गाव में शान से अपना क्लीनिक चला रहे हैं. अप्रशिक्षित डॉक्टरों द्वारा किये जा रहे इलाज की कीमत मरीज को अपनी जान दे कर चुकानी पड़ती है.

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