कानपुर: गंगा में लगातार गिर रहे गंदे नालों का पानी संबंधी मामला अब केंद्र तक पहुंच गया. शहर के अफसरों ने भले ही इस मामले पर खूब परदा डालने की कोशिश की हो, लेकिन कुछ दिनों पहले शहर आए नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के अफसरों ने जब खुद इस हकीकत को जाना तो वह अवाक रह गए. शहर में आनंदेश्वर मंदिर स्थित परमट नाला, गंगा बैराज स्थित परमिया नाला, सीसामऊ नाला समेत कई अन्य नालों का करोड़ों लीटर गंदा पानी रोजाना गंगा में गिर रहा है.
अब नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के अफसरों का कहना है कि जब गंगा में नालों का पानी गिर ही रहा है तो अभी तक नमामि गंगे समेत अन्य योजनाओं के तहत जो करोड़ों रुपये फूंके गए, उनके लिए किसकी जवाबदेही होगी? अफसरों ने कानपुर से वापस दिल्ली जाते समय यह तक कह दिया कि अब कानपुर के लापरवाह अफसरों के खिलाफ एक्शन होगा.
नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के तकनीकी निदेशक डीपी मथुरिया समेत अन्य अफसर कुछ दिनों पहले जब जाजमऊ में 130 एमएलडी क्षमता वाले सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का निरीक्षण कर रहे थे. इस दौरान उन्होेंने मौजूद अफसरों से पूछा कि आखिर इतनी धीमी गति से क्यों काम हो रहा है? इस पर जिम्मेदार अफसर कोई जवाब न दे सकें तो तकनीकी निदेशक ने कहा 30 मार्च तक इसका काम पूरा कर लीजिए. अगर नहीं हुआ तो एक अप्रैल से हम खुद आकर इस एसटीपी को बनाएंगे.
जल निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर ज्ञानेंद्र चौधरी ने बताया कि अभी गंगा में जो नालों का पानी गिर रहा है, उन नालों की टैपिंग पर करीब 61 करोड़ रुपये और खर्च किए जाएंगे. इस काम में लगभग दो सालों का समय लगेगा. जल निगम के रिकार्ड के मुताबिक गंगा में परमट, परमिया नाला, सत्तीचौरा नाला, मैस्कर घाट नाला, रामेश्लर घाट नाला का पानी सीधे तौर पर गिर रहा है.
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