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केडीए वीसी के खिलाफ वारंट जारी, 27 को होना होगा पेश, जानिए वजह

उपभोक्ता आयोग ने केडीए उपाध्यक्ष अरविंद सिंह के खिलाफ वारंट जारी किया है. उपभोक्ता आयोग ने एक मामले में पुलिस को आदेश दिया है कि केडीए उपाध्यक्ष को आयोग के सामने पेश करें.

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Published : Apr 29, 2023, 11:42 AM IST

कानपुर :शहर के जूही कलां में जवाहर विद्या समिति को स्कूल चलाने के लिए आवंटित भूखंड न दिए जाने पर उपभोक्ता आयोग ने केडीए उपाध्यक्ष अरविंद सिंह के खिलाफ वारंट जारी किया है. पुलिस को आदेश दिए गए हैं कि केडीए वीसी (आइएएस) को 27 मई को आयोग के सामने पेश करें. कई दिनों पहले आयोग की ओर से उपाध्यक्ष को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का पालन न करने पर नोटिस भेजा गया था और पूछा गया था, क्यों न उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए. तय समय पर जवाब न मिलने और वीसी के अनुपस्थित रहने पर जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष बिकानू राम ने यह फैसला सुनाया है. हालांकि इस मामले पर केडीए के अफसरों का कहना है कि 'विद्यालय के लिए भूखंड आवंटित जरूर हुआ था, मगर बाद में उस स्थान पर पार्क बन गया था.'

1984 में भूखंड आवंटित किया गया था : दरअसल, जवाहर विद्या समिति को जूही कलां में 19 जनवरी 1984 को 5138.67 वर्गमीटर का एक भूखंड आवंटित किया गया था. आवंटन के बाद कब्जा न मिलने पर समिति की ओर से जिला उपभोक्ता फोरम (मौजूदा समय में आयोग) में अपील की गई थी. इसके बाद वर्षों यह मामला केडीए व आयोग के बीच पत्राचार के तौर पर बना रहा. केडीए ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचाया, मगर वहां से याचिका खारिज होने के बाद समिति प्रबंधक को प्लाट आवंटन का पत्र तक जारी हुआ. लेकिन कब्जा न मिलने पर समिति के सदस्यों ने दोबारा आयोग के पास प्रार्थना पत्र दिया, अंतत: आयोग ने 15 जुलाई 2022 को आदेश दिया कि 25 दिनों में कब्जा दें. केडीए ने इस फैसले को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें आवंटित भूखंड के बदले दूसरा भूखंड देने के आदेश हुए पर फिर भी केडीए अफसरों ने कोई अमल नहीं किया. ऐसी स्थिति में अब आयोग की ओर से वारंट जारी हो गया है.

केडीए के विशेष कार्याधिकारी सत शुक्ला का कहना है कि 'स्कूल के लिए भूखंड आवंटित हुआ था, मगर बाद में वह सार्वजनिक पार्क बन गया. दस्तावेजों में भी यह अधिसूचित पार्क है. विपक्षी की यह मांग है, पार्क को खत्म करके भूखंड उन्हें सौंपा जाए, जो जायज नहीं है. आदेश जारी करने वाले आयोग के अध्यक्ष और सदस्य के खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना वाद दाखिल कर वारंट को स्टे कराएंगे.'

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