कानपुर: प्रदेश में सबसे प्रभावशाली अधिकारी के रूप में शुमार रहे यूपीसीडा के प्रधान महाप्रबंधक अरुण मिश्रा के बुरे दिन शुरू हो गए हैं. सड़क निर्माण कार्यों में धांधली और अनियमितता के सहारे अकूत धन कमाने वाले इंजीनियर अरुण मिश्रा को बीते गुरुवार को निलंबित कर दिया गया. अपर मुख्य सचिव आलोक कुमार ने गुरुवार देर रात निलंबन आदेश जारी कर इन्हें गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण से संबद्ध कर दिया. मामले में जल्द ही जांच अधिकारी की नियुक्ति कर अरुण मिश्रा को चार्जशीट दी जाएगी.
बता दें कि उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण के प्रधान महाप्रबंधक अरुण कुमार मिश्रा पर चलने वाला सबसे बड़ा मामला आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार का है. पुलिस ने अभी प्रधान महाप्रबंधक को गिरफ्तार किया है. अब घोटालों के पीछे की सच्चाई सामने आ रही है कि कहां और किस प्रकार से घोटाले से कमाई गई पैसे को रखा गया है.
50 से अधिक खुलवाएं फर्जी खाते
अरुण कुमार मिश्रा ने वर्ष 2005 से 2006 के बीच 50 से अधिक फर्जी खाते खुलवाए थे. सीबीआई की देहरादून शाखा को इसकी सूचना मिली थी, इसके बाद 2011 में ईडी ने भी जांच की थी. इसमें खुलासा हुआ था कि इन खातों से 8 करोड़ 20 लाख रुपये का लेनदेन हुआ है. अरुण ने यह फर्जी खाते देहरादून हरिद्वार के अलावा कानपुर में खुलवाए थे. खातों को खोलने में जाली ड्राइविंग लाइसेंस और नकली पैन कार्ड गाया गया था.