कानपुर:महानगर में सोमवार कोछत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस आयोजित हुई. इसका विषय 'बियांड एजूकेशन: इम्पलिमेंटेशन ऑफ लाइफलॉन्ग लर्निंग इन इंडिया' रखा गया था. विश्वविद्यालय में आयरलैंड समेत तीन अन्य देशों से विषय विशेषज्ञ कानपुर पहुंचे. मंगलवार को कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन सीएसजेएमयू और एशिया यूरोप मीट लाइफलॉन्ग लर्निंग हब संस्था के बीच करार होगा. उक्त संस्था से 51 देशों के प्रतिनिधि जुड़े हुए हैं. जोकि, मुख्य रूप से सतत शिक्षा के विषय पर ही लगातार कवायद कर रहे हैं.
इस कार्यक्रम में दिल्ली एजूकेशन ऑफ जर्नलिज्म विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो. जयप्रकाश दुबे ने कहा कि लाइफलॉन्ग लर्निंग और लाइफलॉन्ग एजूकेशन के अंतर को हमें गहराई से समझना होगा, तभी हम सफल होंगे. विदेशों में जो शिक्षा व्यवस्था है, उसको अगर हम देखें तो वहां लाइफलॉन्ग लर्निंग पर अधिक फोकस रखा जाता है. बानगी के तौर पर जानिए, अगर कोई व्यक्ति वहां 25 वर्ष की उम्र में सफल है तो उसके आगे 32 वर्ष और 36 वर्ष तक पहुंचने पर उसकी सफलता गाथा कैसी और क्या रही? इस पर फोकस करते हैं. या यूं कहें कि वहां काबिलियत को जल्द सर्टिफाइ किया जाता है. जबकि, अपने देश में लाइफलॉन्ग एजूकेशन पर अधिक फोकस है. यहां व्यक्ति की काबिलियत को हमें सर्टिफाइ करना है. बस, इसी उद्देश्य के साथ दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है.