कानपुरः शहर में जीका वायरस के तीन और मामले शनिवार को सामने आ गए. इससे स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में इन मरीजों के संपर्क में आने वाले लोगों की तलाश शुरू कर दी गई. कानपुर में अब तक जीका वायरस के कुल चार मामले मिल चुके हैं.
शहर में जीका वायरस के तीन और केस मिल गए हैं. इन सभी मरीजों का स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में इलाज किया जा रहा है. सीएमओ नेपाल सिंह का कहना है कि इन सभी मरीजों के मिलने वालों को ट्रेसिंग की जा रही है. पता लगाया जा रहा है कि आखिर यह वायरस कहां से फैलना शुरू हुआ है. स्वास्थ्य विभाग की कई टीमें बनाई गईं हैं. ये टीमें कॉटैंक्ट ट्रेसिंग और वायरस के फैलने की वजह पता लगाने में जुट गईं हैं. मरीजों के संपर्क में आने वालों के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे जा रहे हैं. मरीजों के घरों में और आसपास छिड़काव किया जा रहा है. मरीजों से हाल में ही मिले लोगों का ब्योरा भी जुटाया जा रहा है.
आपको बता दें कि बीती 24 अक्टूबर को केरल के बाद कानपुर में जीका वायरस का पहला मरीज मिला था. यह 57 वर्षीय एयरफोर्स कर्मचारी है, जिसे डेंगू बुखार के लक्षण पर सेवेन एयरफोर्स अस्पताल में 19 अक्टूबर को भर्ती कराया गया. इनका सैंपल नेशनल इंस्टरट्यूट आफ वायरोलाजी, पुणे को सैंपल भेजा गया था. जहां से जीका पॉजिटिव रिपोर्ट मिली थी. इसी के बाद कानपुर में हड़कंप में मच गया था. स्वास्थ्य विभाग ने आनन-फानन में 22 लोगों को आइसोलेट कर दिया था. सभी के सैंपल जांच के लिए केजीएमयू लखनऊ भेजे गए थे.
ये भी पढ़ेंः कानपुर में जीका वायरस संक्रमित हुए एयरफोर्स स्टेशन के वारंट अफसर
डीएम विशाख जी ने एयरफोर्स अस्पताल, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, उर्सला, डफरिन, कांशीराम अस्पताल के स्वास्थ्य विशेषज्ञों की बैठक बुलाई थी. प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मरीज से संबंधित स्थानों का निरीक्षण किया था. बता दें कि जीका वायरस अफ्रीकी देशों में काफी ज्यादा एक्टिव रहता है और यह काफी खतरनाक माना जाता है.
जीका वायरस है क्या
जीका वायरस का संक्रमण भी एक मच्छर के द्वारा ही फैलता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक जीका वायरस भी एडीज मच्छर से फैलता है किन्तु यह जीका वायरस डेंगू की तुलना में अधिक खतरनाक है, क्योकि जीका का न कोई टीका है, और न ही कोई इलाज जिससे लोगो की जान जाने का खतरा अधिक है. यह जीका वायरस लार (Saliva) और मूत्र से निकले पदार्थ द्वारा किसी पॉजिटिव व्यक्ति के संपर्क में आने से फैल सकता है, या संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकले तरल पदार्थ का किसी साधारण व्यक्ति के संपर्क में आने से भी फैल सकता है. विश्व स्वास्थ संगठन के मुताबिक जीका वायरस के संपर्क में आने वाले व्यक्ति के अंदर 3 से 14 दिनों के भीतर इस वायरस के लक्षण दिखाई देने लगते हैं. यह वायरस गर्भवती महिलाओ के लिए अधिक खतरनाक होता है, क्योकि यह भ्रूण में आसानी से पहुंच जाता है. इसके अलावा यह ब्लड ट्रांसफ्यूश्न, ब्लड प्रोडक्ट्स, अंग प्रत्यारोपण या सेक्सुअल कॉन्टैक्ट के जरिये भी तेजी से फैलता है.
ये हैं लक्षण
- सिर दर्द
- बदन दर्द
- जोड़ो का दर्द
- बुखार
- मांसपेशियों में दर्द
- बेचैनी होना
- इसके अलावा बड़े बच्चो या वयस्कों में इस क़िस्म का वॉयरस हो जाने पर उनमे न्यूरोपैथी, गुलियन-बेरी सिंड्रोम और मायलाइटिस जैसी तंत्रिका संबंधी समस्याए देखने को मिल सकती है.
ये हैं बचाव
- खुली त्वचा पर 20% – 30% DEET या 20% पिकारिडीन वाले रेपेलेंट का उपयोग करें.
- हल्के कलर के कपड़ो को पहनें.
- बांह बंद वाले कपड़ो को पहनें.
- यदि हो सके तो कपड़ो की बाहरी सतह पर प्रीमेथरिन का स्प्रे कर लें.
- घर में पानी को न जमा होने दें.
सबसे पहले युगांडा के बंदरों में मिला था यह वायरस
जीका वायरस का पहला मामला वर्ष 1947 में युगांडा के बंदरो में पाया गया था. वर्ष 1952 में यही जीका वायरस तंजानिया और युगांडा के इंसानो में मिला था. इसके बाद इस वायरस का प्रकोप अमेरिका, अफ्रीका और एशिया में देखने को मिला. वर्ष 2007 में याप आइलैंड और वर्ष 2015 में जीका वायरस के मामले ब्राजील में देखने को मिले थे.