कानपुर: एक ओर जहां पूरे सूबे में नवरात्र का पर्व लोग उल्लास से मना रहे हैं. देवी मंदिरों में बच्चों के मुंडन कराए जा रहे हैं, वहीं शनिवार का दिन कोरथा गांव में रहने वालों के लिए एक काल जैसा साबित हो गया. कोरथा गांव निवासी जिस बच्चे का मुंडन कराने माता-पिता और अन्य रिश्तेदार ट्रैक्टर ट्रॉली से उन्नाव स्थित चंद्रिका देवी मंदिर में दर्शन करने गए थे, शायद उन्हें नहीं पता था कि वह वापस घर नहीं लौटेंगे. घाटमपुर के पास एक हादसा हुआ और ट्रैक्टर ट्राली अनियंत्रित होकर गड्ढे में गिर गई. गनीमत यह रही कि जिस बच्चे का मुंडन था वह और उसके पिता राजू निषाद बच गए. जबकि, मां घायल है.
घाटमपुर में हुए हादसे के बाद क्षेत्रीय लोगों का कहना था कि ट्रैक्टर राजू चला रहा रहा था और उसके बेटे अभी का मुंडन था. जब सभी लोग फतेहपुर स्थित चन्द्रिका देवी मंदिर से वापस लौटे तो साढ़ के पास राजू व अन्य रिश्तेदारों ने शराब पी. पुलिस ने देर रात जब राजू को पकड़ा तो उसके मुंह से शराब की बदबू आ रही थी. वहीं, ग्रामीणों ने बताया कि राजू ने गांव के ही रहने वाले प्रहलाद से एक हजार रुपये कैश और 1500 रुपये के डीजल पर ट्रैक्टर तय किया था. हादसे के बाद ट्रैक्टर ट्रॉली पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई.
कुछ दिनों पहले बख्शी का तालाब में हुआ था ऐसा ही हादसा: घाटमपुर के कोरथा गांव में कई लोगों का कहना था, कि कुछ दिनों पहले ऐसा ही हादसा बख्शी का तालाब क्षेत्र में हुआ था. वहां भी कई लोग ट्रैक्टर ट्राली में सवार होकर चंद्रिका देवी मंदिर से दर्शन कर वापस लौट रहे थे, और अचानक ट्राली पलट गई थी. ट्राली पलटने से तब 10 लोगों की मौत हुई थी. ऐसा ही दर्दनाक हादसा घाटमपुर के समीप शनिवार को हुआ. जबकि इस पूरे मामले पर वाहनों के विशेषज्ञों का कहना है, कि ट्रैक्टर ट्राली का मुख्य उपयोग खेती के लिए होता है. इसमें लाइट की बेहतर व्यवस्था नहीं होती. साथ ही सवारियों के लिए तो यह वाहन कहीं से उपयुक्त नहीं है. हालांकि, गौर करने वाली बात यह है कि जरा सी लापरवाही में एक बड़ा हादसा हो गया.
बारिश के भरे पानी से गांव वालों ने निकाले शव, मची चीख-पुकार: घाटमपुर के समीप जहां पर हादसा हुआ, वहां गड्ढे में बारिश का मटमैला पानी भरा था, और ग्रामीण मजबूत दिल के साथ कई लोगों के शव बाहर निकाल रहे थे. घटना का जो वीडियो सामने आया, उसमें ट्रैक्टर ट्राली भी पलटी पड़ी है. वहीं, शवों के निकाले जाने के दौरान स्वजनों की चीख-पुकार भी साफ सुनाई दे रही थी. जो बच गए, उन्हें अपनों को खोने का मलाल था और उनका रो-रोकर बुरा हाल था. जिला प्रशासन के अफसरों का कहना था कि 20 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें 11 महिलाएं और 13 बच्चे शामिल हैं.
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