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कानपुर का ये बाजार 250 सालों से दिवाली में घोल रहा मिठास, अंग्रेज भी खाते थे यहां के 'हाथी-घोड़ा'

कानपुर का हूलागंज बाजार 250 सालों से मिठास घोल रहा है. यहां शक्कर से बने खिलौने (sugar toys for diwali) का काफी पुराना इतिहास है. इन मीठे खिलौनों के दीवाने अंग्रेज भी रह चुके हैं.

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Published : Oct 21, 2022, 7:10 PM IST

कानपुर:जैसे-जैसे दीपावली का पर्व नजदीक आने लगता है, वैसे-वैसे घरों के साथ-साथ बाजारों में भी में रौनक दिखनी शुरू हो जाती है. इस त्योहार के आते ही चारों तरफ रंग बिरंगी सजावट भी देखने को मिलती है. वहीं, शहर का एक ऐसा बाजार है, जहां की फिजा में 250 सालों से मिठास घुल रही है. इस मिठास के दीवाने बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक हैं.

दीपावली के इस पर्व में आप सभी अपने घरों में शक्कर के बने खिलौने (sugar toys for diwali) देखते होंगे, जिसमें आपको कई तरीके के घोड़े, हाथी, चिड़िया समेत कई अन्य आकृतियां बनी हुई दिखाई देती हैं. इन्हें आप बड़े चाव के साथ खाते हैं. बता दें कि यह सभी कानपुर के हूलागंज बाजार में बनाए जाते हैं. कानपुर के अलावा अन्य शहरों में भी यहां के बने हुए इन खिलौनों की सप्लाई की जाती है. कहा जाता है कि इन मीठे खिलौनों के अंग्रेज भी दीवाने रह चुके हैं.

जानकारी देते व्यापारी.

यहां के खिलौने, लइया व खील काफी प्रसिद्ध है. कानपुर का हूलागंज एक ऐसा बाजार है जहां दिवाली के पूजन के साथ-साथ खानपान में चीनी के बने हुए गट्टे, खिलौने, लइया व खील का उत्तर भारत का सबसे बड़ा बाजार हूलागंज बाजार को माना जाता है. यहां के कारखाना संचालक और दुकानदार करीब 250 सालों से हर आने वाले का मुंह मीठा करा रहे हैं. एक दौर ऐसा भी था, जब अंग्रेज यहां इस मिठास के दीवाने हुआ करते थे. आप भी अगर इस दीपावली के त्यौहार पर खील, लइया, गट्टा जैसी वस्तुओं को खरीदने का मन बना रहे हैं तो हूलागंज बाजार में एक बार जरूर घूमकर आएं.

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