कानपुर: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में शहर की तीन विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां 2022 में बीते विधानसभा चुनाव 2017 की तुलना में सियासी समीकरण बदल गए हैं. इन सीटों पर किस दल का परचम फहरेगा ये तो आने वाली दस मार्च को ही पता चलेगा. बहराल, शहरियों की जुबां पर इन दिनों इन सीटों के सियासी समीकरण की चर्चा जोरो पर है.
कानपुर ये तीन सीटे हैं कैंट, सीसामऊ और आर्यनगर. दरअसल, 2017 के पिछले चुनाव में ये तीनों ही सीटें भाजपा जीत नहीं सकी थी. इन तीनों ही सीटों पर कांग्रेस-सपा गठबंधन के प्रत्याशियों को जीत मिली थी. कैंट से जहां सोहले अख्तर अंसारी जीते थे तो वहीं सीसामऊ से इरफान सोलंकी ने जीत दर्ज की थी. आर्य़नगर सीट से सपा के अमिताभ बाजपेयी ने जीत दर्ज की थी.
इस वजह से बदले समीकरण
तीनों ही सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है. खासकर दो सीटों यानी कैंट और सीसामऊ में तो मुस्लिम मतदाता प्रत्याशी को जिताने की स्थिति में हैं. पिछली बार सपा और कांग्रेस का गठबंधन था. इस वजह से इन दोनों ही दलों के वोट एक ही प्रत्याशी की झोली में गिरे थे और वे जीत गए थे. इस बार सपा और कांग्रेस की राहें अलग-अलग हैं. ऐसे में जाहिर है वोटों में भी बंटवारा होगा. यहीं नहीं एक सीट पर दो दलों के मुस्लिम प्रत्याशी लड़ने से वोट तेजी से बंट जाएंगे, ऐसे में सपा और कांग्रेस दोनों ही इसे लेकर चिंतित हैं. अगर मौजूदा समय की बात की जाए तो कैंट से सपा ने जहां मोहम्मद हसन रुमी को चुनाव मैदान में उतार दिया है तो वहीं कांग्रेस से सोहिल अख्तर दोबारा मैदान में हैं. ऐसे में इन दोनों ही प्रत्याशियों के बीच मुस्लिम मत बंटना तय है यानि पिछली बार की तरह किसी एक को पूरे वोट नहीं मिलेंगे. मौजूदा समय में इस सीट से भाजपा प्रत्याशी रघुनंदन भदौरिया हैं. वह 2012 के विधानसभा चुनाव में जीते जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में वह हार गए थे.