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अस्पताल में नहीं मिला स्ट्रेचर, बहन ने भाई को गोद में लेकर लगाई दौड़ - हैलट अस्पताल में लापरवाही

कानपुर के हैलट अस्पताल में मानवता को शर्मसार करने वाली एक घटना फिर सामने आई है. यहां अस्पताल में स्ट्रेचर न मिलने पर एक बहन अपने भाई को गोद में लेकर इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खाती दिखी. लड़की ने बताया कि उसके भाई का पैर टूट गया है और डॉक्टर ने उसे एक्स-रे कराने के लिए कहा, जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल के कर्मचारियों से स्ट्रेचर मांगा, जो उन्हें नहीं मिला.

बहन ने भाई को गोद में लेकर लगाई दौड़
बहन ने भाई को गोद में लेकर लगाई दौड़

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Published : Dec 10, 2020, 4:49 PM IST

कानपुर: 'भैया भाई की टांग टूट गई है एक्स-रे के लिए डॉक्टर ने कहा है, लेकिन स्ट्रेचर न मिलने के चलते गोद में भाई को ले जाने के लिए मजबूर हूं'. ये कहना है एक बहन का जो अपने भाई को गोद में लेकर इलाज के लिए हैलट अस्पताल में भटक रही थी. इस दौरान ना तो अस्पताल के किसी कर्मचारी और ना ही किसी डॉक्टर को इस बहन की तकलीफ नजर आई.

भाई को गोद में लेकर इलाज के लिए भटकती रही बहन

हैलट अस्पताल में स्ट्रेचर को लेकर होता है विवाद
दरअसल, हैलट हॉस्पिटल में अक्सर स्ट्रेचर को लेकर विवाद होता रहता है. कभी मरीजों को स्ट्रेचर मिलते हैं तो कभी नहीं मिलते. यदि स्ट्रेचर मिल भी जाए तो तीमारदार खुद अपने मरीज को लेकर इलाज के लिए भटकता रहता है. मंगलवार को हैलट में कई मरीज बिना स्ट्रेचर के इलाज और जांच के नाम पर अस्पताल में भटकते नजर आए. कई मरीज तो अस्पताल अधीक्षिका के रूम के सामने घूमते रहे, लेकिन कोई भी उनकी सुध लेने वाला नहीं था. इसको लेकर जब जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल से बात की तो उन्होंने मामले की जांच करके जल्द कार्रवाई करने की बात कही.

'जांच के बाद होगी कार्रवाई'
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आर बी कमल ने इस मामले में कहा कि ऐसी घटना नहीं होनी चाहिए और हॉस्पिटल में हर तरह की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन कर्मचारियों का यह रवैया बेहद ही शर्मनाक है. इस मामले के संबंध में अस्पताल अधीक्षिका डॉ. ज्योति सक्सेना को पत्र जारी करके मामले की जांच करके जिम्मेदार पर कार्रवाई करने को कह दिया गया है.

हैलट हॉस्पिटल में कई बार जूनियर डॉक्टर्स की अभद्रता से लेकर अव्यस्थाओं तक शिकायत आती रहती है. कई बार हंगामा भी होता है, लेकिन कार्रवाई के बजाय जांच की बात कहकर पूरे मामले में लीपापोती कर दी जाती है. ऐसे में अस्पताल की व्यवस्थाएं जस की तस बनी हुई हैं, इन सबके बीच मरीजों को इन अव्यवस्थाओं का दंश झेलना पड़ता है.

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