कानपुर: बात 1971 के दौर की है. जब देश में नेशनल ऑनर एक्ट बना था, उस समय संविधान निर्माताओं ने जन-गण-मन और वन्दे मातरम को राष्ट्रगान मानने का फैसला किया था. लेकिन उस दौर में कुछ सेक्युलर नेता ऐसे थे, जिन्होंने वन्दे मातरम को राष्ट्रगान मानने से इंकार कर दिया और फिर वन्दे मातरम को संविधान में राष्ट्रगान के तौर पर शामिल न किया जा सका. हालंकि इस पूरे मामले पर मैंने याचिका दायर की है. उस पर लगातार सुनवाई हो रही है. रविवार को यह बातें मुख्य अतिथि देश भर में पीआईएल मैन के नाम से मशहूर व वरिष्ठ अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय ने कहीं.
वह बीएनडी डिग्री कॉलेज (BND Degree College) में विधि विभाग की ओर से आयोजित विचार गोष्ठी कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. जिसका विषय- भारतीय संविधान की आत्मा रखा गया था. उन्होंने मौजूद विधि छात्रों और आगन्तुकों से कहा आपके शहर का नाम कानपुर है. इसे बदलने के लिए सोचिए. अपनी कलम की ताकत का उपयोग करिए. शहर का नाम आंखपुर, नाकपुर और कानपुर जैसा नहीं होना चाहिए. इसी तरह बोले, संविधान का लक्ष्य रखा गया था- राम राज्य स्थापित करना. ये राम राज्य तभी आ सकता है, जब धर्म की जय हो. अधर्म का विनाश हो. प्राणियों में सदभावना हो और विश्व का कल्याण हो. सबका साथ हो और सबका विकास हो.