कानपुर:कानपुर में पैथोलॉजी कर्मी संजीत यादव की अपहरण के बाद हत्या कर दी गई. 22 जून को नौबस्ता के पास से संजीत यादव का अपहरण किया गया था. उसके दो दोस्तों ने ही अपने साथियों के साथ मिलकर संजीत का अपहरण कर फिरौती की मांग की थी. 29 जून को भी परिजनों के पास फिरौती के लिए आरोपियों ने फोन किया था, जिसके बाद पुलिस ने अपहरणकर्ताओं को पीड़ित परिवार से 30 लाख की फिरौती दिलवाई थी. फिरौती की बात सामने आने पर संजीत की बहन ने अपना बयान बदल दिया और कहा कि फिरौती नहीं दी गई. एक बार फिर उसने अपना बयान जारी कर कहा था कि पुलिस उसके ऊपर दबाव डालकर बयान बदलने के लिए कहा था.
फिरौती को लेकर मृतक संजीत के परिवार और पुलिस की राय अलग-थलग. पुलिस की कार्यशैली पर सवाल
पुलिस की कार्यशैली पर शुरुआत से ही सवाल उठ रहे थे कि आखिर इस अपहरण कांड को लेकर पुलिस लापरवाही क्यों बरत रही है. अपहरण के महज सप्ताह भर बाद संजीत की हत्या कर दी गई थी पर पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी. इस घटना के बाद एसएसपी ने बर्रा इंस्पेक्टर रणजीत रॉय को निलंबित कर दिया था.
संजीत की बहन का आरोप है कि उन्होंने रुपयों से भरे बैग में लोकेशन लगाने के लिए कहा था, ताकि अपराधियों का पता चल सके, लेकिन पुलिस की लापरवाही से 30 लाख रुपये चले गए और उनका भाई भी वापस नहीं मिला. गुरुवार रात पुलिस ने संजीत के परिजनों को हत्या की जानकारी दी तो परिवार में कोहराम मच गया.
वहीं हत्यारोपी भी पुलिस की गिरफ्त में आ गए हैं. उसके बाद फिरौती की बात आई सामने है. पुलिस का कहना है कि फिरौती नहीं दी गई. वहीं परिजन अब भी अपने बयान पर टिके हुए हैं. उन्होंने कहा अपहरणकर्ताओं ने 30 लाख रुपये फिरौती की मांग की थी. इसकी सूचना पुलिस को दी गई थी, जिस नंबर से अपहरणकर्ताओं ने फिरौती की मांग थी, उसे पुलिस ने सर्विलांस पर लगाया था. इसके बाद भी संजीत का कहीं कुछ पता नहीं चला था.
पुलिस का कहना है कि अपराधी फिरौती की रकम कबूल नहीं रहे हैं. पुलिस अब भी जांच कर रही है. फिरौती की रकम को लेकर भी पुलिस पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं. पुलिस अधिकारी इस प्रकरण पर गोलमोल जवाब देते हुए नजर आए हैं.