कानपुर: होली खेले रघुवीरा अवध में होली खेले रघुवीरा...ओ रंग बरसे... बस कुछ दिन बाद ही इन गानों पर लोग झूमते-गाते दिख रहे होंगे, तो वहीं एक दूसरे के चेहरे-माथे पर अबीर-गुलाल लगाते भी. यह उल्लास और उमंग हो भी क्यों न, क्योंकि रंगों का त्योहार होली है. हर साल की तरह इस पर्व पर रंगों का कारोबार जमकर हो, इसके लिए रंग कारोबारियों ने भी अपनी पूरी तैयारी कर ली है.
कानपुर के प्रमुख बाजारों में शुमार नयागंज व हटिया बाजार भी पूरी तरीके से सज गया है. वहीं इस त्योहार को मनाने में कहीं न कहीं लोगों के अंदर एक डर होता है कि वह जिन रंगों का उपयोग कर रहे हैं, उससे उनकी त्वचा को नुकसान न हो जाए, इसके लिए बाजार में हर्बल रंगों की मांग व बिक्री जबर्दस्त है. ऐसे में हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जो बीते 25 वर्षों से हर्बल गुलाल बना रहे हैं. हम बात कर रहे हैं कानपुर शहर के गंगापुर निवासी प्रमोद जयसवाल की, जिन्होंने आरारोट की मदद से हर्बल रंग तैयार किए हैं. उनका दावा है कि इन रंगों के प्रयोग से त्वचा को कोई नुकसान नहीं होगा.
दो दशक से अधिक समय से रगों से जुड़े हैं: ईटीवी भारत संवाददाता से खात बातचीत में प्रमोद जायसवाल ने बताया कि यह उनका पुश्तैनी काम रहा है और वह इसे कई वर्षों से करते चले आ रहे हैं. वह दो दशक से अधिक समय से रंगों से जुड़े हैं. इस बार भी उन्होंने होली के त्योहार के चलते पूरी तैयारियां कर ली हैं. उदास होकर बताते हैं कि कोविड के दौर में इतना नुकसान हुआ कि जमापूंजी भी नहीं बच सकी. लेकिन, इस साल उन्हें बाजार से काफी अच्छी मात्रा में आर्डर मिला है, जिससे लग रहा है कि बीते सालों के नुकसान की भरपाई कर सकेंगे और परिवार का पालन-पोषण बेहतर ढंग से कर पाएंगे.