कानपुर: संजीत अपहरण और हत्याकांड का खुलासा होने के बाद से पुलिस पांडु नदी में शव की तलाश में जुटी हुई है. पुलिस संजीत की लाश को 11 दिनों से ढूंढ रही है. संजीत की बहन को इस बात की उम्मीद थी कि उसके भाई को पुलिस जिंदा ढूंढकर कर नहीं ला पाई तो उसका शव ही मिल जाएगा. आखिरी बार राखी बांध लूंगी. रुचि रक्षाबंधन के दिन तक भाई की लाश का इंतजार करती रही. जब संजीत की लाश नहीं मिली तो अब बहन रुचि ने उसकी फोटो पर ही राखी बांधी.
अनमोल होता है भाई-बहन का प्रेम
भाई-बहन के प्रेम की डोर एक धागे के रक्षा सूत्र से बंधी होती है. भाई-बहन का प्रेम अनमोल होता है. कानपुर में संजीत हत्याकांड को जिसने भी नजदीक जाकर देखा वो भावुक है. वहीं स्थानीय लोगों की आंखें नम हैं. संजीत की बहन पिछले 11 दिनों से भाई का शव मिलने का इंतजार कर रही है, लेकिन पुलिस संजीत के शव को ढूंढ नहीं पा रही है. संजीत की बहन और माता-पिता के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं.
'संजीत को पसंद था रक्षाबंधन का त्योहार'
संजीत की बहन रुचि का कहना है कि रक्षाबंधन में संजीत खुद तैयार होकर सामने आ जाता था. रुचि ने बताया कि संजीत को रक्षाबंधन का त्योहार सबसे ज्यादा पसंद था. रक्षाबंधन के दिन संजीत तैयार होकर राखी बंधवाता था, इसके बाद वो दोस्तों के साथ घूमने के लिए जाता था. रक्षाबंधन के दिन वो कुछ न कुछ गिफ्ट भी देता था. परिवार वालों की मानें तो जब संजीत गिफ्ट खरीदकर लाता तो छिपा देता था और राखी बांधने के बाद ही उसे देता था.
'किडनैपर्स से ज्यादा दोषी है पुलिस'
रुचि का कहना है कि पुलिस की लापरवाही की वजह से संजीत की जान गई है. लापरवाह पुलिस वाले किडनैपरों से ज्यादा दोषी हैं. यदि पुलिस समय रहते सक्रियता दिखाती तो आज संजीत जिंदा होता. परिवार के इकलौते बेटे की हत्या नहीं होती. बुजुर्ग माता-पिता का सहारा नहीं छिनता, एक बहन का भाई उससे दूर नहीं जाता.