उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

हैलट में मृत कोरोना मरीजों के नाम पर निकाली गई रेमडेसिविर इंजेक्शन, जांच के आदेश - कानपुर खबर

कानपुर हैलट अस्पताल में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है. यहां कोविड वार्ड में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों ने मुर्दों के नाम पर कई दिनों तक रेमडेसिविर इंजेक्शन स्टोर से निकलवाए. आशंका है कि बाजार में महंगे दामों पर ये इंजेक्शन बेचे गए हैं.

kanpur hailat  kanpur hailat news  remdesivir injection  रेमडेसिविर  रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी  मुर्दो को रेमडेसिविर इंजेक्शन  कानपुर हैलट अस्पताल  कानपुर खबर  remdesivir injection given to dead patients
हैलट अस्पताल.

By

Published : Jun 12, 2021, 6:54 PM IST

कानपुरः पिछले काफी दिनों से विवादों में रहे कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नाम पर एक और दाग लग गया है. अब मामला कोरोना काल में संजीवनी कही जाने वाली रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी से जुड़ा है. यहां पर डॉक्टरों ने मृतकों को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगा दिए. यह कारनामा हैलट अस्पताल में अंजाम दिया गया है.

बताया जाता है कि मरीजों के मरने के बाद भी उनके नाम पर कई दिनों तक इंजेक्शन निकाले जाते रहे. डॉक्टरों के हस्ताक्षर वाले पर्चों के जरिए नर्सिंग स्टाफ और वार्ड ब्वॉय स्टोर से कोरोना से मृत लोगों के नाम से भी रेमडेसिविर इंजेक्शन ले आए. आशंका जताई जा रही है कि इनकी ब्लैक मार्केटिंग की जा रही थी.

बता दें कि हैलट अस्पताल में कोरोना की दूसरी लहर के पीक के दौरान मारामारी की स्थिति बनी हुई थी. इसी समय में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी के चलते लोग परेशान थे. इस इंजेक्शन को ऐसे लोगों के लिए लाइफ सेविंग मानी जा रही थी, जिनमें ऑक्सीजन की कमी हो रही थी. ऐसे में मार्केट में यह इंजेक्शन कई गुना मंहगे दामों पर बेचे जा रहे थे.

कानपुर हैलट अस्पताल.

इसे भी पढ़ें- ब्लैक फंगस के इंजेक्शन की कालाबाजारी के आरोप में 2 गिरफ्तार

इंजेक्शन की ब्लैक मार्केटिंग के आरोप में हैलट अस्पताल के नर्सिंग स्टॉफ सहित तीन लोगों की 30 अप्रैल को गिरफ्तारी हुई थी. जिसके बाद अब मृतकों के नाम पर इंजेक्शन निर्गत किए जाने का मामला सामने आया है. दस्तावेजी सुबूत सामने आने के बाद मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं.

मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने सभी मरीजों के रिकॉर्ड मंगवाने के साथ जांच कमेटी का गठन कर दिया है. वहीं प्रिंसिपल का यह भी कहना है कि मरीज की मौत के बाद उसके डाटा को पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाता है. उन्होंने कहा कि कई ऐसी मौत हैं, जिनका विवरण अब राज्य स्तर से अपलोड किया जा रहा है. इन दोनों ही बातों में कोई न कोई संबंध जरूर नजर आता है कि अगर ऐसा हुआ है तो यह कोई बड़ा रैकेट हो सकता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details