कानपुरः पिछले काफी दिनों से विवादों में रहे कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नाम पर एक और दाग लग गया है. अब मामला कोरोना काल में संजीवनी कही जाने वाली रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी से जुड़ा है. यहां पर डॉक्टरों ने मृतकों को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगा दिए. यह कारनामा हैलट अस्पताल में अंजाम दिया गया है.
बताया जाता है कि मरीजों के मरने के बाद भी उनके नाम पर कई दिनों तक इंजेक्शन निकाले जाते रहे. डॉक्टरों के हस्ताक्षर वाले पर्चों के जरिए नर्सिंग स्टाफ और वार्ड ब्वॉय स्टोर से कोरोना से मृत लोगों के नाम से भी रेमडेसिविर इंजेक्शन ले आए. आशंका जताई जा रही है कि इनकी ब्लैक मार्केटिंग की जा रही थी.
बता दें कि हैलट अस्पताल में कोरोना की दूसरी लहर के पीक के दौरान मारामारी की स्थिति बनी हुई थी. इसी समय में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी के चलते लोग परेशान थे. इस इंजेक्शन को ऐसे लोगों के लिए लाइफ सेविंग मानी जा रही थी, जिनमें ऑक्सीजन की कमी हो रही थी. ऐसे में मार्केट में यह इंजेक्शन कई गुना मंहगे दामों पर बेचे जा रहे थे.