कानपुर (kanpur): बर्रा के मेहरबान सिंह पुरवा के एक कॉलेज में चौधरी हरमोहन सिंह (Chaudhary Harmohan Singh) के जन्म शताब्दी समारोह में भाग लेने पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) ने चौधरी हरमोहन सिंह के साथ बिताए पलों को साझा किया. साथ ही उन्होंने चौधरी साहब की शिक्षाओं को अपनाने पर जोर देने के साथ ही गुमनाम सेनानियों के योगदान को नई पीढ़ी से रूबरू कराने पर जोर दिया.
उन्होंने कहा कि चौधरी हरमोहन सिंह यादव की सादगी से परिचित रहा हूं. यह मेरा सौभाग्य था कि राज्यसभा के एक कार्य़काल में हम साथ-साथ रहे. वह हमेशा कहते थे कि हम सभी हमसफर हैं. वह कहते थे कि ट्रेन में आपके साथ अगर कोई बैठता है तो वह आपका हमसफर है. यह भावना समाज में भी फैल जाए तो कितना अच्छा हो जाए. गरीब-अमीर और जातिवाद के भेद मिट जाए. यदि हम इस भावना को अपना लें तो हमें यहीं पर स्वर्ग दिखने लगेगा.
उन्होंने कहा कि चौधरी हरमोहन सिंह ने 1984 में हुए दंगों में सिखों की जान बचाई थी इसीलिए उन्हें 1991 में शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था. देश के पूर्व राष्ट्रपति श्री आरवेंकटरमण ने चौधरी हरमोहन सिंह को शौर्य पदक से सम्मानित किया था. चौधरीजी की असाधारण वीरता और शौर्य को मैं नमन करता हूं.
इस वक्त हम जहां हैं वहां विद्या का मंदिर है. भारत की विकास यात्रा में शिक्षकों और छात्रों का बड़ी भूमिका रही है और आगे भी रहेगी. जनजागरण के बारे में भी बात करना चाहूंगा. अजीजनबाई, मैनावती समेत कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बारे में नई पीढ़ी परिचित नहीं है. यह हमारी जिम्मेदारी हैं कि नई पीढ़ी को ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों की अधिक से अधिक जानकारी उपलब्ध कराई जाए. जय देव कपूर और शिव वर्मा के बारे में लोग कम जानते हैं. न जाने कितने गुमनाम हैं जिन्होंने देश की आजादी के लिए जान गवां दी।. ऐसे सेनानियों के योगदान भी सामने आने चाहिए.