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कानपुर: मेडिकल कॉलेज में अब कोविड मरीजों की रिकवरी में आएगी तेजी

कानपुर में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हैलट हॉस्पिटल के न्यूरोसाइंस बिल्डिंग में एक पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड, एक एबीजी मशीन के साथ ही इको और एक्स-रे मशीन आई है. इससे कोविड मरीजों को अब जांच के लिए डायग्नोस्टिक विभाग नहीं भेजा जाएगा.

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Published : Oct 18, 2020, 5:30 PM IST

हैलट के न्यूरोसाइंस बिल्डिंग में आई पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड, एबीजी मशीन.
हैलट के न्यूरोसाइंस बिल्डिंग में आई पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड, एबीजी मशीन.

कानपुर: जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हैलट में कोविड के लिए डेडिकेटेड न्यूरोसाइंस बिल्डिंग में एक पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड, एक एबीजी मशीन के साथ ही इको और एक्स-रे मशीन आई है. इससे कोविड के मरीजों को अब जांच के लिए डायग्नोस्टिक विभाग नहीं भेजा जाएगा. खासतौर पर जो मरीज वेंटिलेटर और ऑक्सीजन पर भर्ती हैं, उनकी भी जांच आसानी से हो सकेगी.

एक ही छत के नीचे होगी सभी जांच
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरबी कमल ने बताया कि इन सभी सुविधाओं के शुरू होने से मरीजों की रिकवरी में तेजी आएगी और मरीजों को एक ही जगह सारा उपचार मिल जाएगा. उन्होंने बताया कि पोर्टेबल एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड की वजह से मरीज को कहीं जाने की जरूरत नहीं होगी. मरीज की अब अधिकतर जांच बेड पर हो जाएगी.

जल्द आ जाएगी सीटी स्कैन मशीन
डॉ. आरबी ने बताया कि सीटी स्कैन मशीन के लिए भी टेंडर जारी कर दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि सीटी स्कैन मशीन आ जाने से रोगियों के फेफड़ों में निमोनिया की स्थिति पता करने में आसानी हो जाएगी. निमोनिया का पता शुरुआत में ही लग जाने से रोगी के इलाज में आसानी हो जाती है और रोगी की जल्द रिकवरी भी होती है.

न्यूरो साइंस बिल्डिंग के बेसमेंट में बनेगी पैथोलॉजी
डॉ. आरबी कमल ने बताया कि कोविड के लिए डेडीकेटेड न्यूरोसाइंस बिल्डिंग के बेसमेंट में पैथोलॉजी की तैयारी हो चुकी है. अब कोविड के जो भी मरीज होंगे उनको जांच के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा. वहीं बेसमेंट में उनकी सारी जांच हो सकेगी, जिससे कि उनको जो भी डॉक्टर कंसल्ट कर रहा है आसानी से उनकी जांचों के माध्यम से उन्हें अच्छा उपचार दे सकेगा.


कोविड की कम हुई रफ्तार
कोविड को लेकर डॉ. आरबी कमल ने बताया कि अब कोविड के मरीज पहले से बहुत कम आ रहे हैं. अब रोजाना 10 से 15 ही मरीज आ रहे हैं. इसी के साथ उन्होंने बताया कि चिंता की बात यह है कि जो भी मरीज अब आ रहे हैं, वो गंभीर हालत में आ रहे हैं, क्योंकि इसमें अधिकतर होम आइसोलेट है.

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