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बैंक लोन कराने के नाम पर ठगी करने वाले गैंग का खुलासा

कानपुर क्राइम ब्रांच ने एक ठग गैंग का पर्दाफाश किया है. बैंक के कामकाज से अनजान भोले भाले गरीब लोगों के साथ यह गैंग ठगी करता था. पुलिस ने गैंग के एक सदस्य को गिरफ्तार करके, उसके पास से फाइनेंस कराए गये 20 दोपहिया वाहनों को बरामद किया है.

संदीप ताज पाटिल
संदीप ताज पाटिल

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Published : Jul 20, 2021, 7:10 PM IST

कानपुर : कानपुर क्राइम ब्रांच को एक और सफलता मिली है. स्वाट टीम ने एक ठग गैंग का खुलासा किया है. यह गैंग बैंक के कामकाज से अनजान भोले भाले गरीब लोगों को निशाना बनाता था. इस ठग गैंग के एक सदस्य को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. यह शातिर ठग गैंग लोगों से उनके बैंक पासबुक, आधार कार्ड, पैन कार्ड व अन्य प्रपत्र लेकर फाइनेंस कम्पनी से स्कूटर/मोटरसाइकिल को फाइनेंस कराकर धोखा दे रहा था. पुलिस ने गिरफ्तार शख्स के पास से फाइनेंस कराए गये 20 दोपहिया वाहनों को भी बरामद किया है.

दरअसल, पुलिस के हत्थे चढ़े शख्स का नाम संदीप राठौर है. यह शहर के ग्वालटोली का निवासी है. इसकी तलाश क्राइम ब्रांच को लंबे समय से थी. सोमवार को जब वह अपनी बाइक से छावनी की तरफ से जाजमऊ आ रहा था, तभी स्वाट टीम और चकेरी पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. संदीप ने पूछताछ में कबूल किया है कि वो कुछ गाड़ियों को विभिन्न कम्पनियों को बेच दिया है. कुछ गाड़ियों को लोगों को बेंच दिया है. इसके अलावा कुछ गाड़ी घर पर व कुछ अन्य स्थानों पर छिपाकर रखी है. इसकी निशानदेही पर पुलिस ने उसके पास से कुल 20 मोटरसाइकिल/स्कूटी बरामद किया है.

जानकारी देते संदीप ताज पाटिल, डीसीपी क्राइम

गिरफ्तार संदीप नाम के शातिर ठग ने पूछताछ में बताया कि वो लोगों से कागज लेने के बाद जब गाड़ी का फाइनेंस कराता था, तो लोग सवाल करते थे कि गाड़ी क्यों फाइनेंस कराई. इस पर वो झांसा देने के लिए कहता था कि पर्सनल लोन के लिए पहले से कोई लोन होना चाहिए. इसके बाद लोगों को 10-15 हजार रुपये देकर शांत करा देता था. साथ ही ये भी समझा देता था कि अगर कोई बैंक वाला घर आए तो दूसरी जगह किराए का कमरा ले लेना, तुम्हे कोई किस्त भी नहीं देनी होगी.

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दूसरे के नाम पर वाहन फाइनेंस कराने के बाद संदीप किसी अन्य ग्राहक को नये वाहन के दाम से 5-10 हजार कम में यह वाहन बेंच देता था. इससे प्रति वाहन 30-40 हजार रुपये बचते थे. करीब दो सालों से यह धंध चल रहा था. कोई मुंह न खोले इसके लिए वह पीड़ितों से सादे स्टांप पर हस्ताक्षर भी करवा लेता था.

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