कानपुर: शहर के जाजमऊ क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में टेनरियां स्थापित हैं, जिनके उत्पाद विदेशों तक अच्छी संख्या में भेजे जाते हैं. आर्थिक नजरिए से टेनरियों को लेकर यह एक बेहतर स्थिति है, लेकिन सालों से इन टेनरियों से निकलने वाला दूषित उत्प्रवाह गंगा के पानी को गंदा कर रहा था. कुछ सालों पहले आईआईटी कानपुर के प्रोफेसरों ने दूषित उत्प्रवाह के नमूनों का परीक्षण किया था. इसमें भारी मात्रा में लेड और आर्सेनिक मिले होने की बात सामने आई थी. जो आसपास की आबादी के लिए जहर जैसा है. इसके साथ-साथ गंगा भी दूषित हो ही रही हैं.
मामला में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा कि जाजमऊ में टेनरियों से निकलने वाले इफ्ल्यूएंट को शोधित (ट्रीट) करने के लिए 20 एमएलडी क्षमता का नया ट्रीटमेंट प्लांट बनेगा. इससे क्षेत्र में टेनरियां भी बसी रहेंगी. गंगा का पानी भी शुद्ध हो जाएगा और हजारों की आबादी को राहत मिल जाएगी. वहीं दूसरी तरफ मामले में रुचि लेते हुए खुद पीएम मोदी ने जाजमऊ स्थित ट्रीटमेंट प्लांट के लिए बिना किसी देरी के मंजूरी दे दी. मौजूदा समय में स्थिति यह है, कि प्लांट का 80 फीसद से अधिक काम हो चुका है और अब मार्च 2023 में पीएम मोदी इसको शुरू करने कानपुर आ सकते हैं. जानकारों का कहना है, इस ट्रीटमेंट प्लांट से पीएम मोदी मिशन 2024 के चुनाव को जोड़ते हुए, गंगा साफ करने का संदेश भी दे जाएंगे. वहीं, पीएमओ की टीम ने कुछ दिनों पहले आकर प्लांट की स्थिति का मौका मुआयना कर लिया था.
550 करोड़ रुपये होंगे खर्चः जाजमऊ स्थित 20 एमएलडी के कॉमन इफ्ल्यूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) में कुल 550 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसमें से 162 करोड़ रुपये टेनरी एसोसिएशन की ओर से दिए गए हैं. दरअसल, इस प्लांट का पूरा उपयोग टेनरी संचालक ही करेंगे, इसलिए उक्त राशि उनके हिस्से से ली गई है. बाकी राशि नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा (एनएमसीजी) व राज्य सरकार के खजाने से खर्च होगी.