कानपुरः आज की तारीख को एक ऐसे नरसंहार के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें आठ पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या कर दी गई थी. जी हां ये वारदात कानपुर के बिकरू गांव में अंजाम दी गई थी. जिसमें कुख्यात विकास दुबे ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर दबिश देने गए पुलिस टीम पर अंधाधुंध फायरिंग कर डिप्टी एसपी समेत 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी. जिसके बाद प्रदेश ही नहीं देशभर में हड़कंप मच गया था. आज इस कांड को हुए एक साल पूरे हो गए.
खौफनाक मंजर का गवाह बिकरू गांव
बिकरू गांव की गलियां आज भी उस खौैफनाक मंजर को बयां करती है, जो 2 जुलाई को पुलिस के नरसंहार के रूप में अंजाम दी गई थीं. पुलिस विभाग के ऊपर इतना बड़ा हमला उत्तर प्रदेश में इससे पहले कभी नहीं हुआ. इस खौफनाक वारदात में 8 पुलिसकर्मियों की दर्दनाक मौत हो गई थी. यहां के लोगों को आज भी 2 जुलाई का वो मंजर याद है, जब सारी रात गोलियों की आवाजों से पूरा इलाका थर्रा उठा था. हालांकि पुलिस के इस नरसंहार के बाद योगी सरकार ने विकास दुबे समेत कई अपराधियों को इनकाउंटर में मार गिराया और कई लोग जेल की हवा खा रहे हैं.
ये है पूरा मामला
2 जुलाई 2020 की रात को चौबेपुर के जादेपुरधस्सा गांव के रहने वाले राहुल तिवारी ने विकास दुबे और उसके साथियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था. जिसके बाद उसी रात करीब साढ़े बारह बजे तत्कालीन सीओ बिल्हौर देवेंद्र कुमार मिश्रा के नेतृत्व में बिकरू गांव में दबिश दी गई. यहां पर पहले से ही विकास दुबे और उसके गुर्गे घात लगाए बैठे थे. उन्हें पुलिस के दबिश की पहले से ही जानकारी मिल गई थी. पुलिस से निपटने के लिए कुख्यात विकास ने पहले से ही घेराबंदी कर दी थी. पुलिस को रोकने के लिए उसने जेसीबी लगाई थी. जैसे ही पुलिस बिकरू गांव में विकास के घर के पास पहुंची. बदमाशों ने चारों ओर से उनपर गोलियां बरसानी शुरू कर दी. कुछ ही पलों में वे सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर फरार हो गये. एक-एक पुलिसकर्मियों को बेरहमी से कई गोलियां मारी गई थीं. इस कांड से योगी सरकार के कानून व्यवस्था पर सवाल उठने लगे थे. जिसके बाद पुलिस और एसटीएफ ने मिलकर आठ दिन के भीतर विकास दुबे समेत छह बदमाशों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था. इस मामले में अभीतक 45 आरोपी जेल में बंद हैं और केस का ट्रायल जारी है.
पुलिस एनकाउंटर
प्रदेश के साथ-साथ देश में भी चर्चा का विषय बन चुका बिकरू कांड योगी सरकार के ऊपर एक बदनुमा धब्बे से कम न था. जिसे धोने के लिए पुलिस ने जल्द ही कार्ययोजना बनाई और उसपर अमल करते हुए 3 जुलाई की सुबह सबसे पहले कुख्यात विकास के रिश्तेदार प्रेम कुमार पांडेय और अतुल दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया. यहीं से विकास दुबे का काउंटडाउन शुरू हो गया. इसके बाद हमारपुर में अमर दुबे को ढेर किया गया. इटावा में प्रवीण दुबे मारा गया. पुलिस कस्टडी से भागने पर पनकी में प्रभात मिश्रा उर्फ कार्तिकेय मिश्रा ढेर कर दिया गया.
विकास के एनकाउंटर पर उठे सवाल हैं बरकरार!
9 जुलाई की सुबह उज्जैन में कुख्यात विकास का नाटकीय ढंग से सरेंडर हुआ था. एसटीएफ की टीम जब उसको कानपुर लेकर आ रही थी, तो सचेंडी थाना इलाके में हुए एनकाउंटर में उसे मार गिराया गया. एसटीएफ ने दावा किया था कि गाड़ी पलटने की वजह से विकास पिस्टल लूटकर भाग रहा था. इस दौरान उसने पुलिस पर भी फायरिंग की, जिसके बाद जवाबी कार्रवाई में उसे ढेर कर दिया गया. हालांकि टोल पर मीडिया को रोकना, गाड़ी का एकाएक पलट जाना. पहले वो सफारी में लाया जा रहा था. एकाएक गाड़ी का बदल जाना ऐसे कई सवाल आज भी मौजूद हैं. हालांकि पुलिस और मजिस्ट्रेटी जांच में सभी एनकाउंटर सही ठहराए गए.
जेल में बंद हैं 45 आरोपी, 3 पर NSA
बिकरू कांड के बाद पुलिस ने नाबालिग खुशी दुबे समेत कुल 45 आरोपियों को जेल भेजा. इसमें खुशी समेत चार महिलाएं भी शामिल हैं. इसके अलावा 9 आरोपी विकास के मददगार और हथियार खरीदने वाले हैं. जिसमें से एक एसपी नेता का रिश्तेदार है. जिसको एसटीएफ ने दबोचा था. अबतक तीन आरोपियों जिसमें शिवम दुबे उर्फ दलाल, राजेंद्र और बबलू मुसलमान पर एनएसए लगाया जा चुका है.
शहीज जांबाज रहेंगे हमेशा याद
शहीद सीओ देवेंद्र कुमार मिश्रा मूलरूप से बांदा के रहने वाले थे. वारदात 2 जुलाई 2020 को हुई. इसके ठीक आठ महीने बाद यानी मार्च 2021 में सीओ को रिटायर्ड होना था. उनका पूरा परिवार स्वरूपनगर स्थित एक अपार्टमेंट में रहता है. बड़ी बेटी स्नातक पास कर चुकी है और छोटी बेटी 12वीं की पढ़ाई कर रही है.