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अब शुगर के मरीज भी बेरोकटोक खा सकेंगे चीनी, NSI ने ईजाद की तकनीक

मधुमेह के मरीजों को अब न तो मीठा खाने से परहेज करना है, न ही किसी तरह के आर्टिफिशियल स्वीटनर को उपयोग में लाना है. कानपुर में राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (National Sugar Institute) ने वह फार्मूला तैयार कर लिया है, जिससे लो जीआई शुगर (low gi sugar) तैयार की जा सकेगी. यह एक तरह की औषधि भी होगी. जानिए इसकी खासियत.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 30, 2023, 4:56 PM IST

राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक प्रो.नरेंद्र मोहन लो जीआई शुगर के बारे में जानकारी देते हुए.

कानपुर:शुगर के मरीजों के लिए खुशखबरी है. जल्द ही बाजारों में ऐसी चीनी मुहैया होगी, जिसे वे बेरोकटोक खा सकते हैं. यह लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स यानी लो जीआई शुगर कहलाती है. यह सामान्य लोगों के लिए भी काफी फायदेमंद होगी. कानपुर में राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने वह तकनीक विकसित कर ली है, जिससे लो जीआई शुगर बनाई जा सकेगी. दावा है कि लो जीआई शुगर कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह और हाईबीपी वाले मरीजों के लिए वरदान साबित होगी. यानी, इसे दवा की तरह उपयोग में लाया जा सकता है.

शोध के बाद तीन कैटेगरी की शुगर तैयार

छह सालों तक हुए शोध के बाद एनएसआई में लो जीआई वाली लो जीआई शुगर के तीन प्रारूप तैयार किए गए. इसमें क्रिस्टल, नार्मल शुगर व फोर्टिफाइ शुगर है. यह जानकारी देते हुए संस्थान के निदेशक प्रो.नरेंद्र मोहन ने बताया कि लो जीआई वाली शुगर तैयार करना अभी तक का सबसे सटीक और सफल शोध रहा. जल्द ही इसे पेटेंट कराया जाएगा. यूपी की सात चीनी मिल विकसित की गई नई तकनीक के आधार पर लो जीआई शुगर बनाने के लिए तैयार हैं.

किसी केमिकल का इस्तेमाल नहीं

लो जीआई शुगर गन्ना, चूना, कार्बन फिल्टर की मदद से तैयार होगी. इस शोध कार्य में सबसे अहम भूमिका निभाने वाली सीनियर रिसर्च फैलो अनुष्का कनोडिया ने बताया कि लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) शुगर तैयार करने में हमने किसी तरह का कोई केमिकल प्रयोग में नहीं लिया. इसके लिए गन्ना, चूना और कार्बन फिल्टर, स्टीविया आदि का प्रयोग किया. इस तरह प्राकृतिक रूप से ही शक्कर तैयार हो गई. अब लोग बिना डरे इस शक्कर का उपयोग कर सकते हैं. इसके उपयोग से वह कई तरह की बीमारियों से भी बच सकेंगे. इस शोध कार्य में अनुष्का को स्वेच्छा और श्रुति शुक्ला का भी सपोर्ट मिला. अनुष्का ने बताया कि लो जीआई वाली शुगर में विटामिन ए की भी मात्रा मौजूद रहेगी.

संस्थान के सदस्यों पर हुआ परीक्षण, निकला सुखद परिणाम

एनएसआई के निदेशक प्रो.नरेंद्र मोहन ने बताया कि लो जीआई शुगर बनाने के बाद हमने संस्थान के सदस्यों पर ही इसका 50 से अधिक बार परीक्षण किया. हमें इसके एवज में सुखद परिणाम मिले. बताया कि बाजार में मौजूद आर्टिफिशियल स्वीटनर को सरकार ने भी सेहत के लिए सही नहीं माना है. इसलिए यह लो जीआई वाली शुगर सभी के लिए फायदेमंद होगी. वहीं एक बार तैयार होने के बाद यह शक्कर एक साल तक पूरी तरह से सही बनी रहेगी. बताया कि नार्मल शक्कर से लो जीआई वाली शुगर 20 फीसद महंगी होगी.

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