कानपुर:नवाबगंज स्थित पं. दीनदयाल उपाध्याय सनातन धर्म विद्यालय (Pt Deendayal Upadhyay Sanatan Dharma Vidyalaya) में हुए स्वर संगम घोष शिविर कार्यक्रम में सोमवार को आरएसएस के संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat in Swar Sangam Ghosh) ने संबोधित किया. उन्होंने कहा कि हमें अपने समाज को देश के लिए उपयोगी बनाना है. संगीत एक कला है और भारतीय कला में सत्यम, शिवम, सुंदरम की धारणा है. देश को बड़ा बनाना है, तो हमें अच्छा, संस्कारी बनना होगा. स्वार्थी बनकर देश को बड़ा नहीं बनाया जा सकता. एक दूसरे के साथ आगे बढ़ना ही संघ है. संघ में घोष वादन का मतलब सबको साथ लेकर चलना है. संघ में स्वर संगम संस्कारों का कार्यक्रम है, इससे स्वयंसेवकों में चारित्रिक विकास होता है.
वह शहर के नवाबगंज स्थित पं.दीनदयाल उपाध्याय सनातन धर्म विद्यालय में हुए स्वर संगम घोष शिविर कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. वैसे तो यह कार्यक्रम स्कूल के मैदान पर होना था, लेकिन शहर में लगातार हो रही बारिश के चलते इसे स्कूल के सभागार में आयोजित किया गया. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि अपने देश में हुए युद्धों में रस संस्कृति रही होगी, क्योंकि युद्ध में वादन किया है. इसके उल्लेख भी मिलते हैं. विभिन्न वाद्यों के नाम भी आते हैं. परन्तु वो परंपरा विलुप्त हो गई. भारतीय परिवेश की परम्परा आज के युग में फिर से जीवित हो गई है. भारतीय संगीत पुरातन काल से चलता आ रहा है. स्वयंसेवकों के वादन में संगीत की दृष्टि से कोई कमी नहीं होती.